कसमा गांव के किसानों पर बरस रही कमला नदी की कृपा

इस तरह मुमकिन हो पाया यह सब

संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। मधुबनी (Madhubani) जिला के हद में कमला नदी की कृपा नदी किनारे खेती करने वाले कसमा गांव के किसानों पर बरस रही है। इससे उनके जीवन में खुशहाली आ गयी है। कोरोना (Coronavirus) संक्रमण काल में भी उनके जीवन की गाड़ी आराम से चल रही है। इनमें बहुत से किसानों के पास अपने खेत नहीं हैं। नदी से सिंचाई की आसान सुविधा और अन्य खर्च भी कम। इससे प्रत्येक किसान प्रतिवर्ष तकरीबन दो लाख की आमदनी कर लेते हैं।

खजौली प्रखंड के हद में कसमा गांव के करीब दो दर्जन किसान गांव से होकर निकली कमला नदी के किनारे सौ एकड़ से अधिक जमीन पर खेती कर रहे हैं। किसान पहले सिर्फ तरबूज, खरबूज व खीरा आदि की खेती करते थे। बीते पांच साल वे बड़े पैमाने पर सब्जी की भी खेती कर रहे हैं। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरी है। स्थानीय रहिवासी भोली यादव कहते हैं कि यह नदी हमारे लिए जीवन का आधार है। कोरोना काल के इस दौर में इसी से रोजी-रोटी चल रही है।

कमाई भले ही कम हुई हो, लेकिन परेशानी नहीं हुई। वे कहते हैं पिछले वर्ष सीजन में खीरा का भाव दस से 20 रुपये प्रतिकिलो था। सिर्फ खीरा से करीब 50 हजार, खरबूज से एक लाख व अन्य सब्जी से 50 हजार रुपये की आमदनी हुई थी। इस वर्ष सीजन के समय कोरोना संक्रमण के कारण आमदनी आधी हो गई। काफी कम व्यापारी खेत तक पहुंचे।

नाममात्र के मुनाफे पर ही पैदावार को बेचना पड़ा है। कुछ किसानों ने भकुआ स्थित कमला साइफन के निकट सड़क किनारे खुद इसे बेच रहे हैं। अब लौकी सहित अन्य सब्जियों की खेती से उम्मीद है। किसान गंगा राम यादव, योगेंद्र साह, भोगी साह, जिन्देश्वर सिंह और जितेंद्र कुमार कहते हैं कि फसल बीमा का लाभ नहीं मिलता है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का भी लाभ नहीं पा मिल रहा है। इसके लिए पहल होनी चाहिए ताकि कमला माई के कारण जो खुशहाली है, वह बरकरार रह सके।

पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने जयनगर में कमला वियर का जायजा लिया था। उन्होंने वियर को बराज में परिवर्तित करने का प्रस्ताव जिला प्रशासन को भेजने का निर्देश दिया। अगर यहां बराज बन जाएगा तो क्षेत्र के किसान और भी खुशहाल हो जाएंगे। वे वर्ष में तीन फसल की उपज कर सकेंगे। इससे क्षेत्र के लगभग 24 हजार एकड़ भूमि तक सिचाई की सुविधा सुलभ हो जाएगी।

विधायक समीर कुमार महासेठ कहते हैं कि नदी किनारे खेती की जमीन आवंटित करने के लिए राज्य सरकार को कानून बनाना चाहिए। ऐसे किसानों को फसल बीमा सहित अन्य योजनाओं के लाभ के लिए पहल करनी चाहिए। जिला कृषि पदाधिकारी सुधीर कुमार कहते हैं कि अगर किसानों को बीमा की जरूरत होगी तो प्रस्ताव भेजा जाएगा।

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