संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने(Tejaswi Yadav) 12 जुलाई को सरकार को घेरते हुए कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish kumar) और उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी (Sushil Modi) ने 15 वर्षों में बिहार की शिक्षा व्यवस्था ही नहीं बल्कि स्वास्थ्य व्यवस्था को भी आईसीयू में पहुँचा दिया है। केंद्र सरकार की रिपोर्ट और मानक संस्थानों की जाँच में बिहार सबसे फिसड्डी है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा तय मानक प्रति हज़ार आबादी पर बिहार सबसे आखिरी पायदान पर है।
बिहार में डॉक्टर मरीज अनुपात पुरे देश में सबसे ख़राब है। जहाँ विश्व स्वास्थ्य संगठन के नियमों अनुसार प्रति एक हज़ार आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए (1:1000 ) बिहार में यह अनुपात 1:3207 है। ग्रामीण क्षेत्रों में तो और भी दयनीय स्थिति है। जहाँ प्रति 17,685 व्यक्ति पर महज 1 डॉक्टर है। आर्थिक उदारीकरण के 15 वर्षों में नीतीश सरकार ने इस दिशा में क्या कार्य किया है यह सरकारी आंकड़े बता रहे है।
तेजस्वी ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा जारी रिपोर्ट कार्ड में पिछले 15 सालों में बिहार का सबसे ख़राब प्रदर्शन रहा है। बिहार को जो राशि आवंटित हुई उसका सरकार आधा भी खर्च नहीं कर पायी। साथ ही आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के अंतर्गत सबसे ख़राब प्रदर्शन बिहार का रहा है।
जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने एक भी पैसा इस साल आवंटित नहीं किया है। अभी तक 75 % आबादी का इ-कार्ड नहीं बन पाया है। चाहे नीति आयोग की रिपोर्ट हो या राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन जैसे संस्थानों के सारे मानकों पर बिहार नीतीश राज के पंद्रह सालों में साल – दर – साल फिसड्डी होते चला गया। ऐसा होना भी लाज़िमी है। जिस प्रदेश के मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी के स्वास्थ्य चिंता हो उसे प्रदेश वासियों के स्वास्थ्य की चिंता क्यों होगी?
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