बागमती का जलस्तर बढ़ने से जनजीवन अस्तव्यस्त

कई गांव हुआ पुरी तरह जलमग्न

संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। बागमती (Bagmati river) के जलस्तर में आंशिक वृद्धि के साथ ही मुजफ्फरपुर जिला के हद में विभिन्न प्रखंडो में आवागमन की समस्या उत्पन्न हो गई है। पीपा पुल को संचालकों ने मरम्मत कर किसी प्रकार यातायात चालू कर दिया। लेकिन, पीपा पुल के बाद बकुची कॉलेज तक के मार्ग में कीचड़ भर जाने से चलना कठिन हो गया है। उधर, बसघटृा डायवर्सन में पानी भर जाने के बाद आवागमन का एक मात्र सहारा क्षतिग्रस्त पुल का चचरी है, जो हमेशा खतरे को दावत देती है।

जानकारी के अनुसार वर्ष 2014 में करोड़ों की लागत से बना पुल उद्घाटन से पहले ही ध्वस्त हो गया। स्थानीय रहिवसियों ने पुल पर चचरी बनाकर आवागमन चालू किया। यह पुल के विकल्प का नमूना है जो धंसे पुल पर 80 फीट की चचरी है। किंतु लगातार यातायात जारी रहने व भारी सामानों की आवाजाही से यह जर्जर हो गया है। यह कभी भी चारपहिए के दबाव से टूट सकता है और जान माल का खतरा उत्पन्न हो सकता है। बसघटृा-पहसौल मार्ग में एक और डायवर्सन है। जिसमें पानी आ जाने से छह महीने तक मार्ग बाधित हो जाता है।

दूसरी ओर बकुची, पतांरी व नवादा में बांध खुले होने से पानी प्रवेश कर गया। आस पास की खेती पूरी तरह से बर्बाद हो गई। बकुची-बेनीवाद मुख्य मार्ग पर पानी चढ जाने से तीन दिनों तक आवागमन बाधित रहा। बर्री-तहवारा मार्ग में पानी आ जाने से मार्ग बाधित हो गया। यहां नाव तक नहीं है। सरकारी स्तर पर भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। चंदौली में बाढ़ से क्षतिग्रस्त बांध की मरम्मत नहीं हुई जिससे यातायात बाधित होने की प्रबल संभावना है। अब तक जलस्तर मे कमी के कारण कठिानाई से ही सही रहिवासी आ जा रहे हैं।

औराई : बागमती परियोजना उत्तरी और दक्षिणी बांध के बीच रहने वाले एक दर्जन गांवों के लोग आवागमन में काफी परेशानी का सामना कर रहे हैं। विदित हो कि विगत दिनों जलस्तर में वृद्धि से मधुबन प्रताप व अतरार घाट स्थित चचरी ध्वस्त हो गई थी। जिसके बाद लोगों को आवागमन के लिए सिर्फ नाव का ही सहारा बचा हुआ है। बागमती परियोजना बांध के अंदर रहने वाले मधुबन प्रताप, पटोरी टोला, बभनगामा पश्चिमी, चहुंटा दक्षिणी टोला, बाड़ा बुजुर्ग, बाड़ा खुर्द, राघोपुर, तरबन्ना, चैनपुर, हरणी टोला, बेनीपुर मुल गांव के लोगों को बांध से अपने घरों को जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। रात के अंधेरे में अनजान जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है। दूसरी ओर लगातार बारिश से बांध पर कई जगह रेन कट हो गया हैं जिससे बागमती प्रमंडल बेखबर है।

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