संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस (Coronavirus) से भारत ही नहीं बल्कि विश्व के अनेक देश प्रभावित हैं। इससे बचाव के लिए शोध और अनुसंधान जारी है।
इसी कड़ी में अमेरिका के बोस्टन शहर में स्मार्ट वॉच कंपनी चलाने वाले भारतीय मूल के दरभंगा निवासी अपूर्व किरण की कंपनी ने डिजिटल पीपीई (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट) तैयार किया है। यह छोटा सा उपकरण शारीरिक दूरी बनाए रखने में मददगार है। लोगों के नजदीक आते ही यह अलर्ट करता है। यह उपकरण संपर्क में आने वालों का डाटाबेस तैयार करता है। अपूर्व कंपनी को भारत लाने की तैयारी में हैं।
उन्होंने फोन पर बताया कि इस उपकरण को तैयार करने का उद्देश्य कोरोना से ठप्प पड़ीं आर्थिक गतिविधियों को गति देना है।अमेरिका में कई कंपनियोंं, अस्पतालों व शिक्षण संस्थानों में इसका उपयोग किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य भारत में लोगों को इस दिशा में जागरूक करना है ताकि सुरक्षित तरीके से काम चालू किया जा सके। हमारी योजना है कि भारत के अस्पतालों, फैक्ट्रियों, हवाई अड्डे, सरकारी कार्यालयों आदि जगहों पर इस उपकरण का उपयोग हो।
उन्होंने बताया कि इस उपकरण की कीमत 15 डॉलर है। शिक्षण संस्थानों में यह उपकरण बेहद कारगर है। इसमें एक थर्मामीटर भी लगा है, जो संपर्क में आने वाले के तापमान से हमें आगाह करता है। इतना ही नहीं, कामगारों की गतिविधियों की मॉनीटरिंग में भी यह कारगर है।
अपूर्व मूलरूप से बेगूसराय जिला के हद में तेघड़ा प्रखंड के हसनपुर गांव निवासी हैं। उनके पिता प्रो. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में पीजी हिंदी के विभागाध्यक्ष हैं।
वर्तमान में पूरा परिवार दरभंगा (Darbhanga) में रहता है। अपूर्व ने आइआइटी, मद्रास(चेन्नई) से मटेरियल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। फिर, बेंगलुरु स्थित भारतीय विज्ञान संस्थान से एमटेक करने के बाद अपनी कंपनी शुरू की। बाद में उसे बेचकर अमेरिकी सरकार की फेलोशिप पर 2011 में अमेरिका चले गए। कॉर्नल यूनिवर्सिटी से कैंसर के उपचार में रोबोटिक्स के उपयोग पर पीएचडी की। इसके बाद बोस्टन शहर में इटरेट लैब्स नामक कंपनी शुरू की।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम महिला प्रौद्योगिकी संस्थान, दरभंगा के निदेशक डॉ. एम नेहाल ने बताया कि अपूर्व की यह उपलब्धि देश-दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। वहीं, दरभंगा के सिविल सर्जन डॉ. एके सिन्हा ने कहा कि इस उपकरण की जो खूबियां हैं, वो वर्तमान परिस्थितियों में काफी उपयोगी प्रतीत हो रही हैं। यह खोज समय की मांग है।
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