बिहार पुलिस की टीम लौटी पर तिवारी अब भी बीएमसी की ‘कैद’ में

संतोष कुमार झा/ मुजफ्फरपुर (बिहार)। बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) मौत मामले की जांच करने महाराष्ट्र के मुंबई गई बिहार पुलिस की 4 सदस्यीय टीम लौट आई, लेकिन आईपीएस अधिकारी व सिटी एसपी सेंट्रल विनय तिवारी अब भी मुंबई में हैं। उन्हें अब भी गोरेगांव के गेस्ट हाउस में जबरन क्वारंटाइन करके रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट की 5 अगस्त की कड़ी टिप्पणी के बाद भी बीएमसी ने उन्हें नहीं छोड़ा। अब 6 अगस्त को बिहार पुलिस की तरफ से दोबारा बीएमसी को एक लेटर भेजा गया है।

नए लेटर के जरिए भी बीएमसी से आईपीएस विनय तिवारी को क्वारंटाइन से मुक्त करने की मांग की गई है। इस बात को खुद बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने कंफर्म किया है। डीजीपी ने कहा कि बीएमसी को बिहार पुलिस की तरफ से ये आखिरी लेटर भेजा गया है। डीजीपी पांडेय ने कहा है कि आप (मुंबई पुलिस) क्यों असहयोग कर रहे हो? हमारे अफसर को कैदी बनाकर रखा है तीन दिन से। माननीय सुप्रीम कोर्ट की ऑब्जरबेशन को भी ये ठेंगा दिखा रहे हैं।

पूरे देश की आस्था है SC में। उसकी बात को आप नहीं मानते। आज हमने फिर चिट्ठी लिखवाई है कि अब सर्वोच्च न्यायालय का ऑब्जरबेशन है। अब छोड़ोगे या नहीं बता दो या तो लिख के दे दो कि हम SC के ऑब्जरबेशन को कुछ नहीं समझते। सूत्र के अनुसार इस बार एडीजी मुख्यालय लॉ एंड ऑर्डर जितेंद्र कुमार ने बीएमसी के कमिश्नर इकबाल सिंह चहल को लेटर लिखा है।

एडीजी मुख्यालय ने साफ लिखा है कि मामला अब सीबीआई के पास जांच के लिए जा चुका है। ऐसे में अविलंब विनय तिवारी को छोड़ा जाना चाहिए। अगर इसके बाद भी बीएमसी अपनी मनमानी पर अडिग रहा तो फिर लीगल ओपिनियन लेंगे। डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय ने एक बार फिर से कहा है कि जल्द ही बिहार पुलिस के अधिकारी महाधिवक्ता से मिलेंगे। पूरे मामले पर लीगल ओपिनियन लेने के बाद पटना हाई कोर्ट में बीएमसी के खिलाफ कंप्लेन करेंगे।

फिलहाल बिहार पुलिस को बीएमसी (BMC) के जवाब का इंतजार है। भेजे गए आखिरी पत्र का बीएमसी क्या जवाब देता है। आईपीएस विनय तिवारी को छोड़ता है या नहीं, इस पर डीजीपी की भी नजर बनी हुई है। गौरतलब है कि सुशांत मामले में जांच करने के लिए बीते एक अगस्त को आईपीएस विनय तिवारी पटना से मुंबई गए थे। उसी दिन देर रात उन्हें बीएमसी के अधिकारियों ने जबरन क्वारंटाइन कर दिया था। तब से लेकर अब तक वे गोरेगांव के गेस्ट हाउस में कैद हैं। इन्हें मुक्त कराने के लिए पहला लेटर पटना के आईजी संजय सिंह ने लिखा था।

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