चंडीगढ़। पंजाब के अमृतसर में दशहरे के दिन रावण दहन देखने आए लोगों के लिए किसी खौफनाक दिन से कम नहीं रहा। दशहरा के मौके पर रावण दहन के कार्यक्रम के दौरान हुए रेल हादसे में 61 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। दरअसल, अमृतसर में जोड़ा फाटक के पास शुक्रवार की शाम रावन दहन के दौरान ट्रेन की चपेट में आने से 61 लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं, जिनमें कुछ की हालत गंभीर बनी हुई है।
अमृतसर के जोड़ा फाटक के पास शुक्रवार की शाम दशहरा के मौके पर रावण दहन देखने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ी थी। लोग रेल की पटरियों पर खड़े होकर रावण दहन देख रहे थे, तभी अचानक तेज रफ्तार में ट्रेन आई और सैकड़ों लोगों को कुचलती हुई चली गई। ट्रेन जालंधर से अमृतसर आ रही थी तभी जोड़ा फाटक पर यह हादसा हुआ। लोग रावण दहन का वीडियो बना रहे थे, सेल्फी खींच रहे थे, तभी अचानक से यह खौफनाक मंजर कुछ लोगों के मोबाइल में कैद हो गया।
रेलवे ने विस्तार से बताया है कि ट्रेन के ड्राइवर ने हादसे को रोकने के लिए क्या कोशिश की और इसके बावजूद हादसा क्यों नहीं रोका जा सका। हालांकि हादसे के एक दिन बाद अब घटना की जिम्मेदारी भी एक दूसरे डालने का काम शुरू हो गया है। कार्यक्रम की चीफ गेस्ट नवजोत कौर का कहना है कि रेलवे को ट्रेनों के लिए निर्देश जारी करने चाहिए थे, जबकि रेलवे का कहना है कि कार्यक्रम की सूचना उन्हें दी ही नहीं गई थी।
अमृतसर ट्रेन हादसे में पहले अप ट्रैक पर अमृतसर से हावड़ा जानेवाली ट्रेन आयी, जिसकी स्पीड थोड़ी धीमी थी। लेकिन दूसरी तरफ़ लोग जैसे ही डाउन ट्रैक पर भागते हैं, जालंधर से अमृतसर आ रही ट्रेन आ गयी, जिसकी तेज रफ़्तार ने मासूम ज़िंदगियों को कुचल दिया। हैरान करने वाली बात है कि दोनों ट्रेनों के बीच का समय महज़ 32 सेकंड है। यानी महज 32 सेकेंड के अंतरा में 61 जिंदगियां काल के गाल में समा गईं। ट्रेन इतनी स्पीड में आई कि लोगों को बचाव का कोई मौक़ा नहीं मिला।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्वनी लोहानी ने बताया है कि आखिर क्यों पूरी कोशिश करने के बाद भी यह हादसा रोका नहीं जा सका। लोहानी ने बताया है कि ट्रैक पर लोगों को देख ट्रेन के ड्राइवर ने अनहोनी टालने की कोशिश की थी। उन्होंने एक निजी चैनल को बताया है कि ड्राइवर ने ट्रेन की स्पीड 90 किमी/प्रतिघंटा से घटाकर 65 किमी/ घंटा कर दी थी। हालांकि, इतनी तेज स्पीड से आ रही ट्रेन को पूरी तरह से रुकने के लिए कम से कम 625 मीटर की दूरी चाहिए होती है। इसलिए, ट्रेन रुक नहीं सकी और 60 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई। आशंका जताई जा रही है कि ट्रेन अगर इमरजेंसी ब्रेक लगा देती तो ट्रेन पलट सकती थी और हताहतों की संख्या और भी ज्यादा हो सकती थी।
लोहानी ने बताया है कि ड्राइवर ने हॉर्न भी बजाया होगा। माना जा रहा है कि पटाखों और जश्न के शोर में आवाज सुनाई नहीं दी होगी। उन्होंने यह भी बताया कि लेवल क्रॉसिंग वहां से काफी दूर थी। ऐसे में वहां बैठे अधिकारी चाहते भी तो कुछ नहीं कर पाते। हालांकि, कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने दावा किया है कि ट्रेन ने हॉर्न बजाया ही नहीं था। इस बारे में उत्तर रेलवे के मुख्य जन संपर्क अधिकारी ने बताया है कि रावण का पुतला गेट्स से 70-80 मीटर की दूरी पर जलाया जा रहा था। उन्होंने बताया कि जब पुतला जलकर गिरा तो लोग ट्रैक की तरफ भागे।
इससे पहले उन्होंने कहा था कि पुतला दहन देखने के लिए लोगों का वहां पटरियों पर एकत्र होना ‘स्पष्ट रूप से अतिक्रमण का मामला’ था। इस कार्यक्रम (रावण दहन) के लिए रेलवे ने कोई मंजूरी नहीं दी थी। ट्रैक पर इतनी भीड़ होने के बावजूद ट्रेन ड्राइवर द्वारा गाड़ी नहीं रोके जाने को लेकर सवाल उठने पर एक अधिकारी ने कहा, ‘वहां काफी धुआं था जिसकी वजह से चालक कुछ भी देखने में असमर्थ था और गाड़ी घुमाव पर भी थी।’
बता दें कि हादसे में अब तक 61 लोगों की मौत की पुष्टि प्रशासन ने की है। यह हादसा अमृतसर और मनावला के बीच फाटक नंबर 27 के पास हुआ है। यह हादसा जिस वक्त हुआ, उस समय वहां रावण दहन देखने के लिए लोगों की भीड़ जुटी हुई थी। इसी दौरान डीएमयू ट्रेन नंबर 74943 वहां से गुजर रही थी। घटना के बाद पंजाब सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों के लिए पांच-पांच लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया गया है।
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