आधार पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

साभार/ नई दिल्ली। आधार की संवैधानिकता पर काफी सयम से चल रही बहस पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने विराम लगा दिया और कुछ बदलावों के साथ कोर्ट ने आधार की संवैधानिकता को वैध ठहराया। आधार मामले पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों संविधान पीठ ने केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया लेकिन उसने बैंक खाते, मोबाइल फोन और स्कूल दाखिले में आधार अनिवार्य करने सहित कुछ प्रावधानों को रद्द कर दिया। चीफ दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में आधार को आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनाने के लिए अनिवार्य बताया। हालांकि अब आधार कार्ड को बैंक खाते से लिंक करना जरूरी नहीं है और मोबाइल फोन का कनेक्शन देने के लिए टेलीकॉम कंपनियां आपसे आधार नहीं मांग सकती हैं।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आधार की वैधता को बरकरार रखने के बाद सरकार और विपक्ष में इसका श्रेय लेने की होड़ लगी है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए ट्वीट किया है। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘कांग्रेस के लिए आधार सशक्तीकरण का एक साधन था। बीजेपी के लिए यह उत्पीड़न और निगरानी का हथियार था। कांग्रेस के विजन का समर्थन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद।’ वहीं जेटली ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि इस योजना को लाने वालों को तो पता ही नहीं था कि इसमें आगे करना क्या है।

इसके अलावा कांग्रेस के ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर मोदी सरकार पर भी तंज कसा। इसमें कहा, ‘मोदी सरकार द्वारा निजी डेटा अवैध ढंग से बांटने पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। पीएम मोदी लोगों की निजता के उल्लंघन का जवाब दें और बताएं कि वह उन आंकड़ों की सुरक्षा कैसे करेंगे, जिन्हें सरकार हमसे ले चुकी है।’

इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए इसका स्वागत किया था। वित्त मंत्री और बीजेपी नेता अरुण जेटली ने कहा कि इसके आलोचकों का विरोध करना सही नहीं है। जेटली ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि इस योजना को लाने वालों को तो पता ही नहीं था कि इसमें आगे करना क्या है।

 


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