काफी जद्दोजहद के बाद बिना रिसिविंग के गोपनीय प्रशाखा ने लिया आवेदन
एस. पी. सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। बिहार के समस्तीपुर जिला मुख्यालय की इन दिनों अजब स्थिति है। पीड़ित का आवेदन न ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय और न ही गोपनीय प्रशाखा लेने को तैयार है। आखिर पीड़ित जाएं तो जाएं कहां?
ज्ञात हो कि, बिहार सरकार द्वारा पीड़ित का आवेदन लेकर हाथों-हाथ रिसिविंग देने का निर्देश है। इस मामले को सभी उचित फोरम पर उठाया जाएगा। जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, नगर आयुक्त आदि कार्यालय जब आवेदन लेकर हाथों-हाथ रिसिविंग देते हैं तो एसपी कार्यालय एवं गोपनीय प्रशाखा को भी ऐसा करने की जरूरत है।
उक्त बातें 19 जून को भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि पुलिस प्रताड़ना झेल रहे ताजपुर के एक पीड़ित की आवेदन नहीं लेने की शिकायत पर स्वयं उसके साथ वे आवेदन देने गये। एसपी कार्यालय ने गोपनीय प्रशाखा में आवेदन देने की बात कह पल्ला झाड़ लिया।
गोपनीय प्रशाखा में जाने पर तैनात गार्ड ने कहा कि यहां आवेदन नहीं लिया जाता है, कार्यालय जाइये। आवेदक को कार्यालय से डांटकर गोपनीय शाखा का रास्ता बता दिया गया। काफि जद्दोजहद के बाद गोपनीय प्रशाखा आवेदन तो लिया, लेकिन रिसिविंग मांगने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया। अंदर आने देने की दोषी मानकर सुरक्षा गार्ड को अपना कर्तव्य याद दिला दिया।
माले नेता ने बताया अंततः दूसरा आवेदन बनाकर जिलाधिकारी के ओएसडी कार्यालय में देकर लेटर नंबर लिया गया। उन्होंने कहा कि वे वर्ष 1990 से गोपनीय प्रशाखा में आवेदन देते रहे हैं। कभी ऐसी परिस्थिति का सामना करना नहीं पड़ा। माले नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसी स्थिति में पीड़ित की अब कौन सुनेगा।
पीड़ित कहां और किसे अपनी पीड़ा बताएगा? ऐसी व्यवस्था बनाई गई है अथवा कुछ पुलिस कर्मी या अधिकारी एसपी को बदनाम करने को ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने समस्तीपुर एसपी से स्वयं मामले की जांच कर अपने कार्यालय एवं गोपनीय प्रशाखा में सुगमतापूर्वक पीड़ित का आवेदन लेकर रिसिविंग देने की व्यवस्था करने की मांग की है। इसे लेकर माले नेता ने स्वयं एसपी से मिलने की बात कही है।
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