अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान का 63वां दीक्षांत समारोह
प्रहरी संवाददाता/मुंबई। प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय के रूप में मान्यता प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय (International) जनसंख्या विज्ञान संस्थान का 63वां दीक्षांत समारोह आज मुंबई (Mumbai) में आयोजित किया गया। इस वर्ष 255 छात्रों को डिग्री और डिप्लोमा (Diploma) प्रदान किए गए।
छात्रों को अनुसंधान और शैक्षणिक पाठ्यक्रम में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए स्वर्ण और रजत पदक से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भारत सरकार (Indian Government) के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव प्रोफेसर बलराम भार्गव और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के महानिदेशक ने की।
आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर अध्यक्षीय भाषण में प्रो. भार्गव ने डिग्री, डिप्लोमा और पदक प्राप्त करने वाले सभी छात्रों को बधाई दी। उन्होंने जनसांख्यिकी को प्रशिक्षित करने और जनसंख्या साक्ष्य के आधार पर अनुसंधान करने में 1956 से अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान के योगदान की सराहना की।
प्रोफेसर भार्गव ने कहा कि 2019-21 की अवधि के लिए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, देश ने हाल के दिनों में विभिन्न जनसंख्या मानकों में सुधार देखा है। भारत सरकार के पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार और नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बैंगलोर में मानद प्रो. विजय राघवन ने उद्घाघाटन भाषण दिया।
उन्होंने पदक विजेताओं और समारोह में उत्तीर्ण होने वाले छात्रों को बधाई दी। उन्होंने स्वास्थ्य और सामाजिक क्षेत्रों में विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों के कार्यान्वयन और निगरानी में अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान संस्थान की भूमिका की सराहना की।
डॉ. राघवन ने जैव विविधता की कमी, जलवायु परिवर्तन, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा में असमानता, श्रम शक्ति की भागीदारी, विभिन्न बीमारियों, युद्ध, अमीर और गरीब देशों के बीच विकास में भारी असमानता के मुद्दों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान, प्रशिक्षण और शिक्षा हमें न केवल अपने देश बल्कि दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सक्षम बनाएगी।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स और अंतर्राष्ट्रीय जनसंख्या विज्ञान (आईआईपीएस) में उपलब्ध ज्ञान, अनुसंधान और प्रशिक्षण उनके परिसरों तक ही सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि देश के दूरदराज के हिस्सों में कॉलेजों और विश्वविद्यालयों तक पहुंचना चाहिए। , उन्होंने कहा।
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