आदिवासी युवाओं को टेंडर में प्राथमिकता देने की पूर्व घोषणा को पुरा करे सरकार-नायक

एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड के विकास कार्यो में राज्य के आदिवासी मूलवासी युवाओं को टेंडरों में प्राथमिकता देने की तीन वर्ष पूर्व की घोषणा को अब पुरा करे हेमंत सोरेन सरकार। उपरोक्त बाते 20 जनवरी को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने कही।

नायक ने कहा कि ओडिशा की तर्ज पर झारखंड में यह नीति लागू की जाए। इस नीति से अनुसूचित जाति, अनुसूचि जनजाति और पिछड़ा वर्ग के युवाओं को आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने में अब देर नही करे सरकार। उन्होंने हेमंत सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने हेतु राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईमेल के माध्यम से पत्र लिख कर झारखंड के आदिवासी मूलवासी समाज के भावनाओ से अवगत कराया है।

उन्होंने कहा कि टेंडरों में एसटी-एससी व ओबीसी काे प्राथमिकता देने के संबंध मे खुद राज्य के मुख्यमन्त्री हेमंत सोरेन ने आज से तीन वर्ष पूर्व घोषणा किया था। ढाई कराेड़ तक के प्रोजेक्ट पर इसे लागू करने की मंशा का ऐलान किया गया था। यह प्रस्ताव ओडिशा की तर्ज पर झारखंड में लागू करने की घोषणा की गयी थी।

नायक ने कहा कि तब पथ निर्माण विभाग के इस प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री के रूप में हेमंत साेरेन ने सहमति दी थी। परंतु इसे अभी तक कैबिनेट में नहीं लाया गया, जो राज्य के आदिवासी मूलवासी समाज के युवाओ के साथ धोखा है।

जिसे अब आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच कदापि बर्दाश्त नही करेगा। कहा कि जब तक यह नीति लागु नहीं की जाती है तब तक संघर्ष और आन्दोलन किया जाएगा। उन्होंने राज्य के मुख्यमंत्री से मांग किया है कि वे अपने किये गये वादो को पुरा करे और अविलंब इसे कैबिनेट मे लाकर इसकी मंजूरी कराये, ताकि जल्द से जल्द इसे टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जा सके।

नायक ने बताया कि ओडिशा में ऐसी ही व्यवस्था लागू है। ओडिशा की तर्ज पर ही झारखंड में भी यह नीति लागू की जाए, ताकि इस वर्ग के युवाओं को सिर्फ पथ निर्माण विभाग में ही नहीं, बल्कि भवन निर्माण, ग्रामीण कार्य विभाग, पेयजल स्वच्छता विभाग और जल संसाधन विभाग आदि के टेंडरों में प्राथमिकता दी जा सके। उन्होंने कहा कि अबुआ दिसुम, अबुआ राज की सरकार मे आदिवासी मूलवासी समाज के धरती पुत्रो को अब अपने राज्य के विकास मे अपना भागीदारी निभाने एवं राज्य को सवांरने का मौका मिलना चाहिए, ताकि वह भी अपने राज्य का विकास कर सके।

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