धीरज शर्मा/विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। विष्णुगढ़ प्रखंड के हद में सरणा स्थल भेलवारा में 4 अप्रैल को प्रकृति पर्व सरहुल धुम धाम से मनाया गया। इस अवसर पर यहां मेला का आयोजन किया गया।
सरहुल के अवसर पर आयोजित मेले में उपस्थित जिला परिषद सदस्य जय प्रकाश ने कहा कि सरहुल मुख्यत: आदिवासियों द्वारा मनाया जाने वाला एक प्राकृति महापर्व है। यह पर्व साल वृक्ष के नीचे मनाया जाता है। हम सभी आदिवासियों झारखंड, मध्य प्रदेश, उड़ीसा एवं पश्चिम बंगाल में प्रमुखता से मनाते हैं। हमलोग जब भी इस त्योहार को मनाते हैं गर्व सा महसूस होता है।
उन्होंने कहा कि सरहुल पर्व से एक प्राचीन कथा भी जुड़ा है। इस कथा के अनुसार जब महाभारत का युद्ध चल रहा था, तब आदिवासियों ने युद्ध में कौरवों का साथ दिया था। जिस कारण कई मुंडा सरदार पांडवों के हाथों मारे गए थे।
जिसके शवों को पहचानने के लिए साल के पत्तों एवं शाखाओं से ढक दिया गया था। जिन शवों को साल के पत्तो एवं शाखाओं से ढका गया था वे शव सड़ने से बच गए थे। जिन शवों को दूसरे शाखाओं से ढका गया था वह सब पूरी तरह से सड़ गया था। जिसके चलते आदिवासियों का विश्वास साल पेड़ों पर बढ़ गया।
सरहुल पर्व के अवसर पर टेकोचन्द, सुशील, प्रेमचन्द, थानेश्वर, दुस्यन्त, संतोष, खुबलाल, नकुल, बिनोद, गुलाब शन्कर, तुलसी, अभिनन्दन, तिलेश्वर, भीम, गंगाधर, टेकनारायण, गिरधारी, शंकर, बिनोद इत्यादि रहिवासी उपस्थित थे।
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