टाटा मेमोरियल में एनएटी प्रोजेक्ट का उदघाटन

कैंसर के मरीजों के सहयोग में उतरी एसबीआई

मुश्ताक खान /मुंबई। कैंसर जैसे जानलेवा रोग से जूझ रहे मरीजों के सहयोग में भारतीय स्टेट बैंक की सीएसआर टीम, एसबीआई फाउंडेशन और एसबीआई डीएफएचआई कूद पड़ी है। अब कैंसर के मरीजों को एनएटी (न्यूक्लियर -एसिड एमप्लीफिकेशन टेस्ट) के लिए बाहर जाने की करूरत नहीं है।

एसबीआई के सहयोग से इस टेस्ट की शुरूआत टाटा मेमोरियल सेंटर की गई है। इससे एचआईवी हेपाटाईटीस बी और सी जैसे इंफेक्शन की पहचान आसान हो जाएगी। इस तकनीक से सफल एवं सुरक्षित जांच के साथ साथ इलाज भी हो सकेगा ।

एसबीआई ने दिखाई दरियादिली

प्राप्त जानकारी के अनुसार एसबीआई के चेयरमैन दिनेश खारा ने कहा की मानवता की बेहतरी के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा लेना चाहिए। उन्होंने कहा की हमें उम्मीद है की एनएटी के आरंभ होने से कैंसर के इलाज में बड़ा बदलाव होगा। एसबीआई की टीम ने दरियादिली दिखाते हुए एनएटी प्रोजेक्ट का संयुक्त रूप से उदघाटन किया। अब एनएटी के जरीये प्रति वर्ष 50,000 मरीजों को ब्लड ट्रांस्फ्यूशन दिया जाएगा और 35,000 ब्लड सैंपल्स का एनएटी किया जा सकेगा।

उन्होंने कहा की हमारी सीएसआर टीम एसबीआई फाउंडेशन के लगातार कोशिशों के बाद यह संभव हुआ है। इस पार्टनरशिप से 50,000 से अधिक कैंसर के मरीजों को ब्लड ट्रांस्फ्यूशन और एनएटी टेक्नोलॉजी में ट्रेनिंग भी दिया जाएगा। दिनेश खारा ने यह भी कहा की इस पहल से बैंक, कैंसर के इलाज के लिए ईको-सिस्टम को सशक्त करना चाहता है। कैंसर मरीजों के लिए आगे का रास्ता मुश्किल और लंबा है। लेकिन हम मदद के साथ-साथ सुनिश्चित करना चाहते हैं की भारत में कैंसर का इलाज सुरक्षित तरीके से हो।

टीएमसी के निदेशक डॉ. आर. ए. बडवे

इस अवसर पर टाटा मेमोररयल सेंटर के निदेशक डॉ. आर. ए. बडवे ने कहा कि अगर रक्त से जीवन बचते हैं तो हमने इस कार्य को पहले से भी ज्यादा सुरक्षित और मजबूत बना दिया है। इस मौके पर टाटा मेमोरीयल निदेशक डॉ. सी. एस. परमेश ने कहा की मरीज चाहे किसी भी सामाजिक या आर्थिक स्थिति का हो, हम उन्हें हाई क्वालिटी , एविडेंस-बेस्ड और सुरक्षित कैंसर केयर देने के लिए प्रतिब्ध हैं।

हमारे 60 प्रतिशत से अधिक मरीजों का इलाज मुफ्त किया जाता है या बहुत ही सब्सिडायज्ड़ दर पर होता है । एनएटी टेस्टींग आरंभ करने में हमारे साथ जुड़ने के लिए हम एसबीआई के आभारी हैं। एनएटी टेस्टींग से हम यह सुनिश्चित कर पाएंगे कि हमारे मरीजों को चढाया जाने वाला ब्लड सुरक्षित है और हर इंफेक्शन से मुक्त है।

टीएमसी मेडिसिन विभाग

डॉ.एस. बी.राजाध्यक्ष, हेड- ट्रांस्फ्यूशन मेडिसिन विभाग ने कहा कि रक्त का एनएटी टेस्टिंग करना महंगा है, पर ब्लड की स्क्रीनिंग करने के लिए इसे मील का पत्थर माना जाता है। ऐसे में मरीजों को बचाने के लिए यह निवेश बेहतर है। एनएटी टेस्ट किया हुआ ब्लड, विशेष रूप से उन कैंसर के मरीजों के लिए एक वरदान साबित होगा जिन्हें इलाज के दौरान मल्टिपल ट्रांस्फ्यूशन की जरूरत पड़ती है। ब्लड ट्रांस्फ्यूशन सर्विसेज (बीटीएस) के नेशनल रेगुलेशंस का यह मानना है कि ट्रांस्फ्यूशन इंफेक्शन (टीटीई) जिसके अंतर्गत एचआयवी, हेपटिटिस बी (एचबीवी) और हेपटिटिस सी (एचसीवी), सिफिलस और मलेरिया आते हैं, इस लिए डोनेट किये गए हर ब्लड यूनिट की टेस्टिंग की जाती है।

क्या है इलीसा तकनीक

इलीसा, तकनीक जिसका अभी प्रयोग किया जा रहा है। इसमें विंडो पीरियड ज्यादा लंबा होने के कारण इंफेक्शन होने का खतरा अधिक है। एनएटी भी किया जाता है तो विशेष रूप से कैंसर के मरीजों में टीटीई का खतरा कम कर सकता है, क्योंकि मल्टिपल ट्रांस्फ्यूशन के कारण उनमें रिस्क अधिक होता है। वर्तमान में भारत में 5 प्रतिशत से भी कम ब्लड सेंटर्स में एनएटी टेस्टिंग की जाती है।

टाटा मेमोरियल सेंटर, परमाणु ऊर्जा विभाग (पऊवि) का एक सहायता अनुदान प्राप्त संस्थान, भारत में कैंसर के लिए एक राष्ठ्रीय रेफरेल सेंटर है। यह सेंटर विश्व के सबसे पुराने और बड़े कैंसर सेंटर्स में से एक है। अनगिनत मरीजों को उनकी चौखट पर जाकर उच्च दर्जे की कैंसर केयर प्रदान करने के टीएमसी के उद्देश्य को पूरा करने का प्रयास मुंबई, नवी मुंबई, गुवाहाटी, वाराणसी, विशाखापटनम, संगरूर, मुजफ्फरपुर के सेंटर्स भी कर रहे हैं।

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