पीएम की ‘बुलेट ट्रेन’ फडणवीस के ‘जी का जंजाल’

साभार/ मुंबई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रॉजेक्ट ‘अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन’ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ‘जी का जंजाल’ बनती जा रही है। चूंकि मामला मोदी की इच्छा से जुड़ा है इसलिए फडणवीस सरकार इस घाटे के सौदे के लिए सीधे-सीधे मना भी नहीं कर पा रही है।

बुलेट ट्रेन परियोजना के चलते मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन डिवेलपमेंट अथॉरिटी (एमएमआरडीए) के कंगाल होने का खतरा पैदा हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी को खुश करने के लिए फडणवीस सरकार बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (बीकेसी) का विशाल भूखंड देने जा रही है।

जबकि बीकेसी की इसी जमीन से होने वाली कमाई पर एमएमआरडीए का सारा दारोमदार टिका है। अगर यह जमीन उसके हाथ से निकली तो मुंबई भर में शुरू की गई मेट्रो रेल परियोजना का काम अनिश्चितकाल के लिए लटक जाएगा। इतना ही नहीं एमएमआरडीए के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने तक के पैसे नहीं होंगे।

ढाई हेक्टेयर जमीन है शेष
एमएमआरडीए के पास बीकेसी में अब सिर्फ ढाई हेक्टेयर जमीन शेष है। इस जमीन पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र के निर्माण के अलावा एमएमआरडीए 40 हजार करोड़ रुपये की मोटी कमाई का सपना देख रही है, लेकिन मोदी के ड्रीम प्रॉजेक्ट को भी यही जमीन चाहिए।

बुलेट ट्रेन का पूरा प्रॉजेक्ट इस जमीन के नीचे बनेगा। इसे बनने में कम से कम पांच से सात साल लग सकते हैं। तब तक इस जमीन पर एमएमआरडीए कुछ नहीं कर सकती। जबकि उसे मुंबई और मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन में चल रहे विकास कार्यों के लिए 60 हजार करोड़ रुपये की जरूरत है और इस समय उसके खाते में सिर्फ 14 हजार करोड़ रुपये ही हैं।

महाराष्ट्र के लिए घाटे का सौदा
पिछले दिनों कांग्रेस विधान परिषद सदस्य संजय दत्त ने इस मुद्दे को विधान परिषद में उठाया था और आंकड़ों के साथ सदन को यह बताया कि मोदी का ड्रीम प्रॉजेक्ट ‘बुलेट ट्रेन’ महाराष्ट्र के लिए बड़े घाटे का सौदा है। उनके मुताबिक 98000 करोड़ रुपये की लागत वाली बुलेट ट्रेन परियोजना का 25% खर्च यानी 24000 करोड़ रुपये महाराष्ट्र सरकार, 25% खर्च गुजरात सरकार और शेष 50% खर्च केंद्र सरकार उठाने वाली है, जबकि हकीकत यह है कि कि बुलेट ट्रेन परियोजना का 77 फीसदी हिस्सा गुजरात में है और सिर्फ 33 फीसदी हिस्सा महाराष्ट्र में है। ऐसे में महाराष्ट्र को 24000 करोड़ रुपये खर्च करने की क्या जरूरत है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पर पहले से ही 3.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है और हाल ही में बीएमसी चुनाव से पूर्व ही सरकार ने 1 लाख करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की घोषणा की है।

कहीं शो पीस न बन जाए
दत्त ने आईआईएम की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि बुलेट ट्रेन का खर्च निकालने के लिए बुलेट ट्रेन को मुंबई-अहमदाबाद के बीच रोज 100 चक्कर लगाने होंगे और इसमें 88 हजार से 1 लाख 10 हजार यात्रियों का प्रतिदिन सफर करना जरूरी होगा। तभी यह परियोजना व्यावहारिक होगी और इसके लिए जो कर्ज लिया जाएगा उसे ब्याज सहित लौटाना संभव होगा। अगर रोज इतने यात्री नहीं मिले, तो सरकार को बुलेट ट्रेन का टिकट बढ़ाना होगा। जाहिर है मुंबई-अहमदाबाद के बीच इतनी बड़ी संख्या में यात्री मिलना मुश्किल है। ऐसे में आशंका इस बात की है कि कहीं बुलेट ट्रेन शो पीस बनकर न रह जाए।

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