एस. पी. सक्सेना/बोकारो। आये दिन बोकारो इस्पात संयंत्र के कोक ओवेन सहित अन्य विभागों में ठेकेदार मजदूरों द्वारा अपने खून पसीना से उत्पादन मे कीर्तिमान स्थापित करने वाले मजदूर अपने वेतन मे से पैसा लौटाना बन्द कर रहा है, तो ठेकेदार, इंजिनियर, इंचार्ज गठजोड़ मिलकर उनका गेट पास रोक देने का शिलशिला आये दिन बढ़ते जा रहा है। मजदूरों के उपरोक्त व् अन्य समस्याओं को लेकर 19 फरवरी को जय झारखंड मजदूर समाज कार्यालय सेक्टर-9 मे कार्यकारिणी की बैठक की गयी।
जानकारी के अनुसार झारखंड मुक्ति मोर्चा केन्द्रीय सदस्य सह जय झारखंड मजदूर समाज के महामंत्री बी. के. चौधरी के अध्यक्षता मे उक्त बैठक की गयी। बैठक मे उपस्थित सभी नेता और कार्कर्ताओं ने इस्पात कर्मी और ठेकाकर्मियों के आर्थिक और मानसिक शोषण के लिये एनजेसीएस नेताओं को जिम्मेदार बताते हुए कहा कि एनजेसीएस युनियन दिल्ली मे मजदूर विरोधी समझौता करता है और बोकारो मे घड़ियालू आंसू बहाते हुए कहता कुछ और है। जिसे मजदूरों को समझने की जरूरत है। क्योंकि सीधे सादे मजदूर उनके कूटनिति को नही समझ पा रहा था। अब समझने लगा है जो मजदूरों के लिए अच्छा संकेत है।
महामंत्री चौधरी ने सभी के सुझाव पर अपने सम्बोधन मे कहा कि सेल चेयरमैन अमरेंन्दु प्रकाश और बोकारो के डायरेक्टर इंचार्ज जिस तरह पहले ठेकाकर्मियों के मर्म और वेदना को समझते और मामले को संज्ञान मे लिया करते थे, उसमे काफी गिरावट आई है।
जिसके कारण एक आध मुख्य महाप्रबंधक को छोड़कर सभी ठेकेदार इंजिनियर, इंचार्ज गठजोड़ के भक्त होते जा रहा है। महामंत्री ने कहा कि अगर 39 महिना का एरियर, युनियन का चुनाव, इन्सेंटिव रिवार्ड स्कीम मे सुधार, ग्रेच्युटी से सिलिंग हटाने, एस-6 से बिना किसी बाध्यता का अधिशासी, उम्र सीमा घटाते हुए अप्रेंन्टीस कर चुके विस्थापित और मृत कर्मचारी के आश्रित को नियोजन, पैसा नही लोटाने पर और मेडिकल जांच के नाम पर काम से निकालने, ठेकेदार बदले लेकिन नया मजदूर के नाम पर गेटपास फार्वाडिंग नही, एडब्लूए राशि पर भी पीएफ काटने, इस्पाकर्मियों के तरह ठेकाकर्मियों को प्लांट मे तबीयत खराब के कारण हुए मृत्युपरान्त उनके आश्रित को नियोजन इत्यादि 22 सूत्री मांगो पर पहल नही किया गया, तो आर पार का आन्दोलन किया जायगा। उसके पहले आगामी 22 फरवरी को कोक ओवेन बैर्टी नम्बर-3 के सामने दोपहर एक बजे चेतावनी प्रदर्शन किया जायगा।
बैठक मे संयुक्त महामंत्री शंकर कुमार, एस. के. सिंह, सी. के. एस. मंण्डा, आर. बी. चौधरी, रौशन कुमार, रमा रवानी, आर. आर. सोरेन, आशिक अंसारी, बादल कोयरी, शशि भूषण, सुरेश प्रसाद, राजू लहरी, हरेंद्र पासवान, सुभाष चंद्र दलई, एस. के. प्रसाद इत्यादि ने अपने अपने विचार व्यक्त किए।
30 total views, 2 views today