अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर प्रखंड के सबलपुर स्थित संकट मोचन मंदिर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिवस 5 मार्च को कथावाचक जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रंगनाथाचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि माताएं जैसी चिन्तन करती हैं वैसी ही चित्त-चरित्र वाले संतान की उत्पत्ति होती है।
उन्होंने कहा कि बच्चों को महापुरुषों, ऋषि-मुनियों की कथा सुनानी चाहिए। पूर्व में माताएं रात्रि में सोते वक्त बच्चों को कथा सुनाती थी, जिससे बच्चे संस्कारी होते थे। उन्होंने कहा कि माताओं को रत्नगर्भा कहा जाता है। जो माताएं जैसी चिन्तन करती हैं वैसी ही चित्त-चरित्र वाले संतान की उत्पत्ति होती है। अच्छी बातें सुनते और देखते हैं तो वैसे बच्चे आगे चलकर सूर्य और चंद्र की तरह चमकते हैं।भगवान के चरित्र के सुनने से अभय तन की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि राम-कृष्ण सभी सनातनियों के आराध्य हैं। उनका नाम-कर्म अमिट है। कभी मिटने वाला नही है।
इसे मिटाने वाले मिट्टी में मिल जायेंगे।हमारे यहां ही आर्यावर्त भारत खण्ड में ऋषि-मुनियों ने वेद-पुराणों की रचना की और वेद के ही आधार पर विज्ञान का आविष्कार हुआ, जिससे पूरी दुनिया संचालित हो रही है इसलिए भारत पूर्व से विश्वगुरु था और आगे भी रहेगा।
उन्होंने कहा कि सनातन ही विश्व की शक्ति है। इसी के शरण में सभी को आना होगा। उन्होंने कहा कि भगवान की कथा सुनने से पाप-ताप-संताप सब मिट जाती है। सांसारिक सुखों का अधिक भोग करने से रोग होता है तथा अश्लील चरित्र को देखना और सुनना नाश का कारण है। इसलिए अश्लील चरित्र न देखिए न सुनिए।राम लीला, रासलीला देखिए और सुनिए।
उन्होंने रामानंद सागर के रामायण धारावाहिक की चर्चा करते हुए कहा कि जब धारावाहिक आरम्भ हुआ तब हनुमान जी का यह उद्घोष जय श्रीराम को बच्चों ने आत्मसात कर लिया था।
उन्होंने कहा कि हनुमान जी राम नाम के रसिया हैं। सीता राम सीता राम का जाप करते रहते हैं। कभी भगवान से अपने कार्य की सिद्धि के लिए नहीं कहा। बल्कि जब भी चाहते भगवान श्रीराम का नाम लेते तो सब काम हो जाता। उन्होंने कहा कि अब श्रीराम का नाम लेने से देश से कलंक मिट रहा है। राम जी के बताए मार्ग पर चलिए। उनके गुणों को आत्मसात् कीजिए।
उन्होंने जन्मभूमि की महत्ता को समझाते हुए कहा कि लंका विजय के बाद लंका के रमणीक वातावरण को देख श्रीराम की सेना में कुछ ऐसी चर्चा चली कि यह भूमि बसने योग्य है। जब भगवान श्रीराम के कानों में यह बात पड़ी तो उन्होंने लक्ष्मण से कहा कि अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते ।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥ यानि हे लक्ष्मण! यद्यपि यह लंका सोने की बनी है, फिर भी इसमें मेरी कोई रुचि नहीं है। क्योंकि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं। उन्होंने भारत भूमि को देव भूमि बताते हुए कहा कि भारत में जन्म लेना साधारण बात नहीं। जापान, अमेरिका आदि में जन्म लेना आसान है।
सारण संसद राजीव प्रताप रूडी सहित कई नेताओं ने किया व्यास पीठ की पूजा
इस मौके पर सारण के सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूढ़ी, बिहार विधान परिषद सदस्य जीवन कुमार, पूर्व विधान पार्षद राजन सिंह ने उपस्थित होकर भागवत व्यास पीठ का पूजन कर कथावाचक जगद्गुरु रामानुजाचार्य रंगनाथाचार्य जी महाराज का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस दौरान प्रसिद्ध भजन मन में बसाकर तेरी मूर्ति उतारू मैं गिरधर तेरी आरती गायन पर भक्त श्रद्धालु झूम उठे।
कथा श्रवण में मुख्य रूप से पायलट बाबा की शिष्या कथावाचिका साध्वी लक्ष्मी माता, साध्वी मीरा दास, धर्म जागरण समन्वय के क्षेत्र प्रमुख सूबेदार सिंह, प्रान्त सांस्कृतिक प्रमुख कृष्ण कुमार मिश्र, प्रशासन सम्पर्क प्रमुख राहुल यादव, मंदिर समिति के अध्यक्ष विनोद सिंह सम्राट, बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता उपेन्द्र सिंह, महेंद्र सिंह, अनामिका ग्रुप, संत रविदास, अर्चना राय भट्ट, कार्यक्रम संयोजक संजय कुमार सिंह, सह संयोजक डॉ आशुतोष कुमार, मनीष कुमार, डॉ त्रिभुवन झा, नरेषु सिंह, धनंजय सिंह, यशवंत कुमार, संजीत कुमार आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
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