प्रहरी संवाददाता/पेटरवार (बोकारो)। आश्विन कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि 18 सितंबर को पेटरवार प्रखंड के हद में जगह जगह ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में माताओं ने अपने पुत्रों की रक्षा के लिए जीवित पुत्रिका व्रत जितिया में निर्जला रहकर चुल्हो-सियारों की कथा का श्रवण किया।
जानकारी के अनुसार पेटरवार प्रखंड के हद में अंगवाली, पिछरी, चलकरी, झुंझको, खेड़ो, छपरडीह, बेहरागोडा, चाँपी, खेतको सहित प्रायः ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्र की माताएं जीवित पुत्रिका व्रत सह जितिया पर्व को निर्जला उपवास रखकर किया। बताते हैं कि इस पर्व को माताएं अपने संतानों की लंबी उम्र, उसे हर संकट से बचाने के उद्देश्य से दिन, रात बिना अन्न, जल ग्रहण किए उपवास रखकर धारण करती हैं।
मान्यता के अनुसार अलग अलग जाती समाज में अपने पूर्वजों द्वारा चलाए गये नियमों का पालन माताएं करती हैं। व्रतधारी कई माताओं ने बताया कि इसमें कच्चा चना अंकुरी स्थापित किया जाता है। इस पर्व में खीरा अति आवश्यक है। अधिकांश परिवारों में झींगा व खीरा के पता, सखुवा के दातुन नितांत आवश्यक है।
कई समाज में तो यह कहा जाता है कि, जितिया परब बड़ी भारी, दाल, चार करिहा तैयारी। इस अवसर पर अंगवाली के कई बंगला भाषी परिवार की माताओं को ईख की डाली पूजते देखा गया। यह भी कहा जाता है कि दूसरे दिन प्रातः को ही माताएं व्रत तोड़कर पारण करती हैं। जिसमे अरवा चावल के भात, चना दाल, नौ प्रकार की सब्जियां पकाकर पूरे परिवार ग्रहण करती हैं।
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