पेयजल, शौचालय, शिविर व् प्रशिक्षण से लगभग 1200 रहिवासी लाभान्वित
पीयूष पांडेय/बड़बील (ओडिशा)। टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) ने क्योंझर जिला के हद में जोड़ा ब्लॉक के बिचाकुंडी क्षेत्र में विभिन्न जन-उन्मुख परियोजनाएं शुरू की है। टीएसएफ द्वारा उन्हें सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया है।
जानकारी के अनुसार टीएसएफ की मदद से मुंडा बस्ती और काली बस्ती क्षेत्र के 130 रहिवासी छत्तू खेती और बटख के माध्यम से आत्मनिर्भर बन गए हैं। इस संदर्भ में, निजी सहायता के रूप में 10 छत्तू खेती परियोजना घर और 10 बटख खेती घर का निर्माण किया गया है, जिससे रहिवासियों की आय बढ़ाने और सुधार करने में मदद मिली है। उनकी सामाजिक स्थिति और व्यवहार में बहुत सारे बदलाव किये गये हैं।
स्थानीय लोगों की आजीविका में सुधार के लिए वैज्ञानिक विधि से बायो-फ्लॉक मछली पालन किया गया है जिससे तीन लोगों को लाभ हुआ है और इसे और विस्तार देने की योजना है। इसी प्रकार, स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से साबुन बनाने के प्रशिक्षण से 25 लोग लाभान्वित हुए हैं और आत्मनिर्भर बन गये हैं।
काली मिर्च जैसी नकदी फसलों को बढ़ावा दिया गया है जिससे 20 किसानों को लाभ हुआ है। 211 लोगों ने अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने और बाजार में बेचने के लिए पौष्टिक किचन गार्डन में विभिन्न प्रकार की सब्जियां उगाकर लाभ उठाया है।
टीएसएफ द्वारा स्थानीय क्षेत्र में चार सामुदायिक शौचालयों का निर्माण किया गया है, जिससे 400 लोग लाभान्वित हुए हैं। कौशल विकास के तहत कार्यक्रम में सिलाई प्रशिक्षण से 10 लोग लाभान्वित होकर आत्मनिर्भर बनी हैं और, 250 महिला सशक्तिकरण, नेतृत्व में शामिल हुई है।
25 लोगों को युवा सशक्तिकरण कार्यक्रम से लाभ हुआ जबकि 35 लोगों ने बाहरी नेतृत्व विकास कार्यक्रम में भाग लिया। पेयजल की गंभीर समस्या को दूर करने के लिए मोहल्ले में 6 गहरे ट्यूबवेल खोदे गए हैं, जिससे 450 लोगों को लाभ मिला है।
बायोफ्लॉक मछली की खेती करने वाले मुंडा बस्ती के गुरबारी मुंडा कहते हैं, “टीएसएफ को धन्यवाद, हम आज पूरी तरह से आत्मनिर्भर हो गए हैं। हमें आजीविका की दिशा में मार्गदर्शन करने और हमें आत्मनिर्भर बनाने के लिए टीएसएफ को धन्यवाद।”
इसी तरह, छट्टू की खेती करने वाली काली बस्ती की समिता लोहार कहती हैं, “टीएसएफ सिर्फ खेत ही नहीं, बल्कि हमारे क्षेत्र के लोगों की समग्र भलाई के लिए कई काम कर रहा है, जो वास्तव में स्वागत योग्य है।”
टीएसएफ की ऐसी पहलों ने स्थानीय निवासियों के जीवन को बदलने में मदद की है और महिलाओं और युवा महिलाओं को सशक्त बनाने में प्रमुख भूमिका निभाई है।
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