आज तक नहीं हुई इन वाहनों की नीलामी
एस.पी.सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड (Jharkhand) के सभी 24 जिलों के थानों में खड़े-खड़े 25 हजार से ज्यादा वाहन कबाड़ हो गए हैं। ज्यादा समय तक खुले आसमान के नीचे खड़े रहने से ज्यादातर वाहन कबाड़ हो चुके हैं।
इससे जहां सरकार (Government) को राजस्व का नुकसान हो रहा है, वहीं थानों में खड़ी गाड़ियों की समय पर नीलामी न हो पाने से इनकी संख्या हज़ारों में पहुंच गई है। ये हम नहीं बल्कि थानों से मिली जानकारी खुद-ब-खुद बयां कर रही है। जिम्मेदार अधिकारी भी इन गाड़ियों को नीलाम कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
जिससे लावारिस और मुकदमों में थानों में जमा कराये गये गाड़ियों की समय पर नीलामी नहीं हो पायी। उक्त जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता व् अधिवक्ता दीपेश निराला ने दी।
जानकारी के अनुसार राज्य के थानों में 20 सालों से वाहन पड़े हुये हैं, जिसका आज तक नीलामी नहीं हो पाया है। थानों में बाइक, कार, जीप, ट्रेक्टर, पीक-अप वैन आदि पड़े हुए है।
जिसमें बोकारो में 1346, दुमका में 32, गुमला में 200, लोहरदगा जिला में 20 गाड़ियां कबाड़ हो चुकी है। सबसे आश्चर्य कि गुमला जिले के रायडीह थाने में वर्ष 1993 से ही गाड़ियां रखी हुई हैं। यहां लगभग 55 गाड़ियां है। जिनकी नीलामी आज तक नहीं हुई है। नतीजा यह है कि थानों में 20 साल से गाड़ियां रखे रखे सड़ गयी। आरटीआई से मांगी गई सूचना के आधार पर थानों ने जानकारी दी है।
बताया जाता है कि लंबे समय से बाहर रखे जाने की वजह से वाहनों के पुर्जे-पुर्जे तक गायब हो चुके हैं। थाना परिसर में लंबे समय से गाड़ियों के खड़े रहने से उनकी सुरक्षा भी पुलिस के लिए सिरदर्द साबित हो रहा है। इसके अलावा उनकी रखवाली करना भी थाने की पुलिस के लिए एक अलग काम बन गया है।
ज्ञात हो कि लावारिस वाहन या किसी भी मुकदमे से जुड़े वाहन के बारे में पुलिस को छह माह के भीतर उसके मालिक को नोटिस भेजनी होती है।
उसके बाद भी वह गाड़ी लेने नहीं आता है या उसे कोर्ट से रिलीज करवाने की प्रक्रिया नहीं शुरू करता है तो उसे कोर्ट से अनुमति लेकर आरटीओ की मदद से पुलिस नीलाम करवा सकती है, लेकिन थानों में सालों से गाड़ियां खड़ी हैं। जब तक उनकी नीलामी की जाती है तब तक वाहन कबाड़ में तब्दील हो जाता है। इसकी वजह से उसकी कीमत भी काफी कम मिलती है।
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