बोकारो जिले में एकसाथ तीन स्थानों पर मॉक ड्रिल

एक साथ 3 स्थलों पर बजा सायरन, ब्लैक आउट के साथ मॉक ड्रिल

आम जनों ने भी बढ़-चढ़ कर लिया मॉक ड्रिल में हिस्सा

एस. पी. सक्सेना/बोकारो। गृह मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश पर बोकारो जिला उपायुक्त (डीसी) एवं पुलिस अधीक्षक (एसपी) की निगरानी में जिले के तीन स्थानों पर एकसाथ मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। मॉक ड्रिल बोकारो के बीएसएल प्लांट क्षेत्र नगर प्रशासन भवन, सेक्टर चार, आइईएल प्लांट क्षेत्र गोमिया एवं जोधाडीह मोड़ चास में आयोजित किया गया।

जानकारी के अनुसार मॉक ड्रिल के दौरान उपरोक्त तीनों स्थानों पर जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारियों ने मोर्चा संभाला था। मॉक ड्रिल में जिला प्रशासन के पदाधिकारियों के साथ बीएसएल, आइईएल के पदाधिकारीगण, स्थानीय प्रशासन, फायर ब्रिगेड, सिविल डिफेंस के सदस्यगण, सीआइएसएफ जवान, सीआरपीएफ जवान, होम गार्ड, नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी), नेशनल सर्विस स्कीम (एनएसएस), नेहरू युवा केंद्र संगठन (एनवाईकेएस), स्कूल-कॉलेजों के छात्र-छात्रा और काफी संख्या में आम रहिवासियों ने हिस्सा लिया।

जानकारी के अनुसार जोधाडीह मोड़ चास स्थित माक ड्रिल स्थल पर स्वयं बोकारो डीसी एवं एसपी उपस्थित रहें। उन्होंने हमले के हालात से निपटने एवं की जाने वाली तैयारियों से सभी को अवगत कराया। इस दौरान डीसी व् एसपी मॉक ड्रिल वाले अन्य स्थानों पर भी इंसिडेंट कमांडरों एवं वरीय पदाधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में रहे।

वहीं बीएसएल प्लांट क्षेत्र नगर प्रशासन भवन सेक्टर चार स्थित मॉक ड्रिल स्थल पर डीपीएलआर निदेशक, एसडीओ चास शामिल हुए। यहां सभी गतिविधियों की निगरानी करते हुए मंत्रालय द्वारा जारी गाइडलाइनस के अनुरूप मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। जबकि गोमिया के आइईएल प्लांट क्षेत्र स्थित मॉक ड्रिल स्थल पर एसडीओ बेरमो, आइईएल प्रबंधन एवं स्थानीय प्रशासन की देख रेख में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया।

बताया जाता है कि 7 मई की शाम चार बजे एक साथ तीनों मॉक ड्रिल स्थल पर सायरन बजा। जिसके बाद उन इलकों में जाने वाले सभी रास्तों पर बेरिकेटिंग करते हुए रास्तों को रोका गया। पूरा क्षेत्र पुलिस जवान, अधिकारी और ग्राउंड वर्कर से भरा दिखा। माक ड्रिल के दौरान रहिवासियों को सतर्क करते हुए उन्हें खतरे के दौरान उससे बच निकलने की जानकारी माइकिंग के माध्यम से दी गई।

तीनों स्थल पर कृत्रिम बमबाजी के बाद घटना की सूचना सैडो नियंत्रण कक्ष एवं कंपोजिट कंट्रोल रूम को देने, वहां से राहत व बचाव कार्य को लेकर फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस एवं स्वयं सेवी सदस्य तुरंत मौके पर पहुंचें। घायलों को तुरंत बनाएं गएं मेक शिफ्ट अस्पताल पहुंचाया गया, जहां मेडिकल सुविधा तुरंत उपलब्ध कराई गई। इस दौरान भवन में आग लगने पर उससे निपटने का अभ्यास किया गया। इस दौरान वहां पानी की बौछार की गई और कार्यरत कर्मियों को सुरक्षित बाहर निकालकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया।

मॉक ड्रिल के दौरान प्रशासन की ओर से लगातार लाउडस्पीकर पर माक ड्रिल में शामिल वालिंटियर को दिशा-निर्देश दिए जाते रहें। मॉक ड्रिल में कई एंबुलेंस व् फायर ब्रिग्रेड के वाहनों को शामिल किया गया था। इस दौरन दुश्मन देश के किसी भी हमले से बचने के लिए रहिवासियों को हर तरीके और उपाय का इस्तेमाल करना बताया गया। बमबारी व आग लगने जैसे हालात पैदा होने पर किस तरह खुद को और दूसरों को बचाना है, इस पर सिविल डिफेंस एवं फायर ब्रिगेड द्वारा जानकारी देते हुए मॉक ड्रिल को पूरा किया गया।

संपूर्ण ब्लैक आउट रहा तीनों स्थल, आम जनों ने किया सहयोग

मॉक ड्रिल के दौरान अपराह्न 6 से 7 बजे तक तीनों मॉक ड्रिल स्थल पर संपूर्ण ब्लैक आउट का अनुपालन किया गया। इस दौरान आम जनों ने भी सहयोग किया। घरों की बत्तियों, स्ट्रीट लाइट, गार्डन लाइट्स को बंद रखा, खिड़कियों – दरवाजों पर पर्दा डाला, इनवर्टर एवं जनरेटर आदि का भी इस्तेमाल नहीं किया। इस दौरान वरीय पदाधिकारियों ने बताया कि ब्लैक आउट क्या हैं और यह क्यों जरूरी है। किसी भी देश पर जब युद्ध का खतरा होता है या फिर हवाई हमले की संभावना होती है, तो उस स्थिति में दुश्मन द्वारा जमीन पर मौजूद रोशनी को निशाना बनाया जाता है। इस कड़ी में घरों में जलती हुई रोशनी, गाड़ियों की हेडलाइट्स व सड़कों पर जलती बत्तियां भी दुश्मन के लिए निशाना साधने में मदद करती हैं।

लेकिन, ब्लैक आउट में जब पूरी जमीन पर अंधेरा होता है, तो इसमें हवाई क्षेत्र से दुश्मन को निशाना साधने में मुश्किल होगी। क्योंकि, पूरी तरह से अंधेरा होने की वजह से दुश्मन किसी भी चीज को निशाना नहीं बना सकता है। ऐसे में जान-माल का नुकसान अधिक होने की संभावना कम होती है।
मॉक ड्रिल की गतिविधि एवं सूचनाओं को एक दूसरे टीम के साथ साझा करने, जरूरी व्यवस्था सुनिश्चित करने के दायित्व निष्पादन में अपर समाहर्ता एवं जिला आपदा प्रबंधन पदाधिकारी भी जुटें रहें।

ज्ञात हो कि, तीनों मॉक ड्रिल स्थल के लिए अलग-अलग शैडो नियंत्रण कक्ष एवं मेक शिफ्ट अस्पताल बनाया गया था। माक ड्रिल में जिला परिवहन पदाधिकारी, डीसीएलआर चास, सामाजिक सुरक्षा के सहायक निदेशक, जिला भू अर्जन पदाधिकारी, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी, जिला समाज कल्याण पदाधिकारी, जिला अग्निशमन पदाधिकारी, जिला पशुपालन पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी चास, बेरमो, गोमिया, पेटरवार, अंचलाधिकारी, कार्यपालक दंडाधिकारी, सहायक जनसंपर्क पदाधिकारी, सिविल डिफेंस, मनरेगा नोडल पदाधिकारी समेत विभिन्न थानों के पदाधिकारी/कर्मी आदि उपस्थित थे।

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