एस. पी. सक्सेना/रांची (झारखंड)। झारखंड के बोकारो जिला मे अल्पसंख्यक युवा मो. अब्दुल कलाम को पीट पीटकर बेहरमी से मॉब लिंचिंग करने वाले दोषीयों को फांसी की सजा हो। साथ हीं मृतक के आश्रितों को पचास लाख मुआवजा एवं नौकरी दिया जाए।
उपरोक्त बाते 9 मई को आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने झारखंड की राजधानी रांची में कही। ज्ञात हो कि नायक बोकारो जिला के हद में नावाडीह प्रखंड क्षेत्र में बीते 8 मई को अल्पसंख्यक युवा मो. अब्दुल कलाम को पीट पीटकर बेहरमी से मॉब लिंचिंग करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि आज फिर एक बार मॉब लिंचिंग के कारण एक मजलूम मां ने अपने घर के इकलौते सहारे को खो दिया है, जिसकी जितनी भी निन्दा की जाए कम है। उन्होंने कहा कि झारखंड के बोकारो जिला में उक्त घटना घटी है। कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय का युवा मो. कलाम को भीड़ द्वारा बेहरमी से पीट पीटकर जान से मार दिया गया। दुसरी ओर बुढमु मे अल्पसंख्यक समाज के एक बुजुर्ग से मारपीट करने से मौत होना दुर्भाग्यपूर्ण घटना है।
नायक ने कहा कि झारखंड में हेमंत है तो हिम्मत है के नारे के साथ छाती चौड़ा करने वालो की सरकार मे अल्पसंख्यक युवा का सेंद्रा किया जा रहा है। अगर सरकार इस घटना को गंभीरता से नही लेती है तो आयेदिन इसी तरह बेहरमी से अल्पसंख्यको का मॉब लिंचिंग किया जाता रहेगा और सरकार में बैठे दो अल्पसंख्यक मंत्री, अल्पसंख्यक समाज के रहने के बावजूद मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर लगाम नहीं लग पा रही।
सरकार को चुल्लू भर पानी मे डुबकर मर जाना चाहिए। कहा कि जब राज्य मे दलित आदिवासी, मूलवासी अल्पसंख्यक समाज सुरक्षित है ही नहीं तो क्या फायदा ऐसे मंत्रियों के रहने का। झारखंड में सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी मामला है तो वो मॉब लिंचिंग का, मगर सरकार लगातार मॉब लिंचिंग की घटनाओं को नजर अंदाज कर मॉब लिंचिंग पर कानून न बना कर सिर्फ इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा तक ही सीमित रखना चाहती है मगर सरकार की यह बहुत बड़ी भूल है।
नायक ने राज्य के मंत्री, राज्य के पुलिस महानिदेशक, बोकारो जिला प्रशासन से आग्रह करते हुए कहा कि आरोपियों को अविलंब गिरफ्तार कर फास्ट ट्रैक कोर्ट मे सुनवाई कर फांसी से कम सजा नही मिले और पीड़ित परिजनों को इंसाफ मिले। यह मॉब लिंचिंग की घटना सभ्य समाज के लिए कलंक है। सरकार अविलंब मॉब लिंचिंग कानुन बनाए और सख्ती से लागु करे, ताकि समाज में पुनः ऐसी घटना की पुनरावृति न हो सके।
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