केन्देयाटांड़ के प्रवासी मजदूर की पुणे में कार्य के दौरान मौत

महावीर का शव पहुँचते ही गांव में मचा कोहराम

प्रहरी संवाददाता/बगोदर (गिरिडीह)। हजारीबाग जिला के हद में बिष्णुगढ़ प्रखंड के केन्देयाटांड़ के प्रवासी मजदूर महावीर सोरेन की बीते 8 अक्टूबर को कार्य के दौरान महाराष्ट्र के पुणे में मौत हो गयी।

बताया जाता है कि जैसे ही 10 अक्टूबर की सुबह महावीर सोरेन का शव पुणे से बिष्णुगढ थाना क्षेत्र के जोबर पंचायत के केन्देयाटांड़ पहुँचा, परिजनों के हृदय विदारक चीत्कार से पूरा माहौल गमगीन हो गया। माहीवर की पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हो चुका था। वे लगातार अचेत हो जा रही थी। जिन्हें आस पास के महिलाओं द्वारा सम्भाला जा रहा था।

दरअसल केन्देयाटांड़ निवासी धनीराम सोरेन के पुत्र महावीर सोरेन की मौत 8 अक्टूबर को पुणे में काम करने के दौरान टाॅवर में करंट लगने से हो गयी थी। मृतक का शव जैसे ही उनके घर पहुंचा तो क्या बूढ़े, क्या नौजवान एकाएक उसके घर की तरफ दौड़ पड़े। मृतक महावीर के शव को परिजन निहार-निहारकर बिलख रहे थे।

इस घटना को लेकर प्रवासी मजदूरों के हित में कार्य करने वाले समाजसेवी सिकन्दर अली ने संवेदना प्रकट करते हुए कहा कि झारखंड के नौजवानों की मौत के मुंह में समा जाने की यह पहली घटना नहीं है।इससे पहले भी कई प्रवासी मजदूरों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि रोजी-रोटी की तलाश में परदेस गये प्रवासी झारखंडी मजदूरों की मौत का सिलसिला जारी है।

हर रोज झारखंड के किसी न किसी इलाके से प्रवासी मजदूर की दूसरे राज्यों या विदेश में मौत की खबरें आ रही है। अली के अनुसार प्रवासी मजदूरों की सबसे ज्यादा तादाद झारखंड के हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह जिले से रोजी कमाने गये रहिवासियों की है।

अपना घर छोड़कर परदेस गये इन मजदूरों की जिंदगी तो कष्ट में बीतती ही है, मौत के बाद भी उनकी रूह को चैन नसीब नहीं होता है।किसी की लाश हफ्ते भर बाद आती है, तो किसी को ढाई से तीन महीने भी लग जाते हैं। ऐसे में सरकार को रोज़गार की ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि मजदूरो का पलायन रोका जा सके।

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