एस. पी. सक्सेना/लातेहार (झारखंड)। लातेहार जिला के हद में स्थित चंदवा अंचल में बिचौलिए हावी हैं। यहां रिश्वतखोर कर्मचारी और बिचौलिए मस्त हैं। रिश्वतखोर कर्मचारी और बिचौलिए को किसी का कोई भय नहीं रह गया है। यहां कोई सबसे ज्यादा त्रस्त है तो वह है अंचल क्षेत्र के ग्रामीण रहिवासी।
बताया जाता है कि रिश्वतखोर कर्मचारियों की शिकायत उपायुक्त के जनता दरबार में होने के बाद भी कार्रवाई नहीं होने, उल्टे उन्हें संरक्षण मिलने से रिश्वतखोर कर्मचारियों के मनोबल बढ़ रहे हैं। यहां कार्यरत रिश्वतखोर राजस्व कर्मचारीयों में अधिकारियों का कोई डर भय नहीं है। उक्त बातें सामाजिक कार्यकर्ता अयुब खान ने 31 अगस्त को कही।
खान ने कहा कि ऑफिस खुलने से पहले कार्यालय में बिचौलिए पहुंच जाते हैं। संध्या पांच बजे ऑफिस बंद होने के बाद बिचौलिए घर के लिए रवाना होते हैं। बिचौलियों से राजस्व कर्मचारी हमेशा घिरे रहते हैं। राजस्व कर्मचारी अपने पास घंटों बिचौलियों को बिठाए रखते हैं।
अयूब खान ने बताया कि इस दौरान अपने काम के लिए जब ग्रामीण रहिवासी कर्मचारी के पास जाते हैं तो कर्मचारी यह कहकर काम करने से इंकार कर देते हैं कि यह काम होने वाला नहीं है। इसमें लेटिगेशन है।
इसके बाद बिचौलिए उसी ग्रामीण से सम्पर्क करते हैं कि हम काम करा देंगे। इतना पैसा लगेगा। फिर सेंटिंग गेंटिंग कर उस ग्रामीण का काम कर्मचारी और बिचौलिए मिलकर कर देते हैं। उन्होंने बताया कि बिना बिचौलिए के राजस्व कर्मचारी एक भी काम नहीं करते हैं।
यहां राजस्व कर्मचारीयों की मनमानी सर चढ़कर बोल रहा है। कुछ कर्मचारी तो अधिकारियों और पदाधिकारियों की सुनते ही नहीं हैं।कुछ रिश्वत खोर कर्मचारीयों को तो पदाधिकारी ही संरक्षण दे रहे हैं। इससे रिश्वतखोर कर्मचारियों के हौसले सातवें आसमान पर हैं।
उन्होंने बताया कि चंदवा की जनता राजस्व कर्मचारीयों एवं बिचौलियों की रिश्वतखोरी से त्रस्त है। उन्होंने बताया कि सरकार किसी का हो, गांव की ही सरकार क्यों न बदल जाए। रिश्वतखोर कर्मचारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता। राजस्व कर्मचारीयों के डेरे में बिचौलिए दिन दिन भर डेरा जमाए रहते हैं। शिकायत के बाद भी रिश्वतखोर कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होने से जिला और अंचल प्रशासन के प्रति ग्रामीण जनता का भरोसा उठ रहा है।
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