प्रहरी संवाददाता/विष्णुगढ़ (हजारीबाग)। विष्णुगढ़ प्रखंड के हद में कोनर डैम फुटबॉल मैदान में 11 नवंबर को आदिवासी सेंगेल अभियान की एक बैठक की गई। बैठक की अध्यक्षता नागी पंचायत के मुखिया कुंवर हांसदा तथा संचालन आदिवासी सेंगेल अभियान के हजारीबाग जिलाध्यक्ष बाहाराम हांसदा ने किया।
बैठक में मुख्य रूप से आदिवासी सेंगेल अभियान के झारखण्ड प्रदेश अध्यक्ष देवनारायण मुर्मू ने कहा कि आज आदिवासी समाज भयंकर संकट में है। आजादी के 70 वर्षों के बाद भी आदिवासियों को न धर्म की आजादी न भाषा की मिली है।
अभी प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए सरना धर्म कोड की मांग को लेकर भारत के पांच प्रदेशों बिहार, बंगाल, असम, उड़ीसा तथा झारखंड में आन्दोलन धरना प्रदर्शन चल रहा है। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर, बंगाल की राजधानी कोलकत्ता में झारखण्ड की राजधानी रांची में धरना प्रदर्शन हो चुकी है।
आगामी 25 नवंबर को बिहार की राजधानी पटना में तथा 22 दिसंबर 2022 को हासा – भाषा विजय दिवस के अवसर पर झारखण्ड की राजधानी रांची मोरहाबादी मैदान में विशाल सरना धर्म कोड जनसभा प्रस्तावित है। जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हो सकते हैं।
इसके लिए आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व सांसद सालखन मुर्मू तथा प्रधानमंत्री को निमंत्रण पत्र भेज चुके हैं। आदिवासियों का हासा – भाषा, जाति, धर्म, ईज्जत, आबादी, रोजगार आदि नहीं बचेगा तो आदिवासी नही बचेंगे।
उन्होंने कहा कि अभी कुर्मी/महतो जाति के लोग आदिवासी बनने के लिए आन्दोलन कर रहे हैं। आन्दोलन कर सकते हैं वो उनका अधिकार है, लेकिन अगर वे आदिवासी बनते हैं तो असली आदिवासी संताल, मुण्डा, उरांव, हो, कुड़ुख खड़िया पहाड़िया बिरहोर आदि का क्या होगा?
उनके लिए तो यह फांसी के फंदे की तरह है। इसके लिए कुछ राजनीतिक पार्टियां जिम्मेदार है जिन्होंने हस्ताक्षर कर उनका समर्थन किया है।
उन्होंने कहा कि झारखण्ड से जेएमएम पार्टी, बंगाल से टीएमसी और उड़ीसा से बीजेडी पार्टी सर्वाधिक दोषी दार है। इसलिए आदिवासी समाज इनका सर्वत्र पुतला दहन कर विरोध करना जरूरी है।
सभा को आदिवासी सेंगेल अभियान के बोकारो युवा मोर्चा जोनल हेड विजय टुडू, रामगढ़ जिला महिला मोर्चा अध्यक्ष उलेश्वरी हेम्ब्रम, हजारीबाग जिलाध्यक्ष बाहाराम हांसदा, सरना धर्म मंडवा हजारीबाग जिलाध्यक्ष बाहाराम मरांडी, नागी पंचायत के मुखिया कुंवर हांसदा, खरकी पंसस बिनोद सोरेन, सनीचर सोरेन, महादेव मुर्मू, मोतीलाल हांसदा, साँझलू छोटेलाल इत्यादि सेकड़ो रहिवासी उपस्थित थे।
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