धारविकारों को जबरन कुर्ला भेजने का मतलब ?

दो दशकों से चल रहे धारावी बचाओ आंदोलन का नतीजा अब भी शून्य !

मुश्ताक खान/मुंबई। कुर्ला नेहरू नगर परिसर में स्थित मदर डेयरी की जमीन को धारावी परियोजना के लिए अदानी को दिए जाने तथा उस जमीन का अधिग्रहण करने के विरोध में महाविकास आघाड़ी और मुंबई बचाव समिति द्वारा संयुक्त प्रदर्शन किया गया। शुक्रवार को शिवसेना नेता डॉ. महेश पेडनेकर की अध्यक्षता में बड़ी सभा का आयोजन किया गया।

इस सभा को विभिन्न वक्ताओं ने संबोधित किया, सभा को संबोधित करते हुए धारावी बचाव आंदोलन के मुख्य नेता व पूर्व विधायक बाबुराव माने ने कहा की धारावीकर कुर्ला नहीं जाना चाहते हैं। लेकिन राज्य सरकार जबरन धारावी के साथ -साथ कुर्ला के मदर डेयरी को भी तबाह करना चाहती है। इसे दूसरे शब्दों में यह भी कहा जा सकता है कि धारविकरों की समस्याओं को सुलझाने के बजाए उन्हें और उलझाने व बर्बाद कर कुर्ला, मुलुंड, मानखुर्द, विक्रोली और दहिसर भेजने पर आमादा है क्यों?

गौरतलब है कि करीब दो दशकों से चल रहे धारावी बचाओ आंदोलन का अब तक कोई नतीजा नहीं निकला, जबकि इस दौरान अलग -अलग सरकारें आई और सभी ने अपनी -अपनी रोटियां सेंकी और चलती बनी। बावजूद इसके आंदोलनकारियों का हौसला बुलंद है।

“अडानी हटाओ धारावी बचाओ” धारविकारों की माने तो वे अपने हक की लड़ाई लड़ते ही रहेंगे। धारविकार अपनी बर्बादी से बचने की लड़ाई वर्ष 2004 में शुरू की थी, जिसे लगातार राज्य सरकार द्वारा नजरअंदाज करती आ रही है। फिलहाल कुर्ला पूर्व के मदर डेयरी की जमीन को धारावी परियोजना के लिए मापी करने आये भूमापक अधिकारियों को आंदोलनकारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। इसके बाद भूमापन के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया।

अडानी पर क्यों मेहरबान है राज्य सरकार

कुर्ला पूर्व के मदर डेयरी पर आंदोलनकारियों की सभा में शेकप नेता राजेंद्र कोरडे ने कहा की धारावी के पास अपना जमीन है तो अडानी को 21 एकड़ कुर्ला मदर देरी, 18 एकड़ और 45 एकड़ मुलुंड की जमीन, मानखुर्द, विक्रोली और अन्य जगह की लगभग 1500 एकड़ जमीन क्यों देना चाहती है सरकार ? ऐसे में राज्य सरकार की मंशा जाहिर होती है।

राज्य में जो भी है उसे अडानी के हवाले कर दिया जाये, यानि गरीब और गरीब हो और अमीर और अमीर हो ! उनके बाद राकांपा (शरद पवार गुट) के पूर्व विधायक मिलिंद अन्ना कांबले ने कहा कुर्ला मदर डेयरी का दूध पीकर हम लोग पले बढ़े हैं, इस जमीन की लड़ाई वर्षो से लड़ रहें हैं।

ताकि यहां गार्डन बने, इस जमीन पर स्थानिक नागरिकों का अधिकार है। लिहाजा उन्हें सुविधाओं से वंचित कर किसी एक पर मेहरबानी करना उचित नहीं। ऐसे में अगर जनता की मांगों को सरकार द्वारा ठुकरा कर धारावी परियोजना के नाम पर अदानी को दिया गया , तो होगी आर पर की लड़ाई !

धारविकार धारावी से बाहर नहीं जायेंगे

सीपीआई नेता कामरेड नसीरुल हक ने कहा धारविकार धारावी छोड़ कर बाहर नहीं जायेंगे, क्योंकि धारावी के पास अपनी 600 एकड़ जमीन है, जिसमें 3 धारावी को बसाया जा सकता है। लेकिन धारावी के नाम पर कुर्ला सहित अलग अलग स्थानों पर 1500 एकड़ जमीन अडानी को क्यों दिया जा रहा है। कहीं ऐसा तो नहीं कि अडानी के लिए राज्य सरकार का बड़ा जमीन घोटाले की साजिश रची जा रही है।

कुर्ला चलबल और मदर डेयरी आंदोलन के नेता किरन पेलवान का कहना है कि धारावी वालों से हमारी कोई दुश्मनी नहीं है। लेकिन कुर्ला मदर डेयरी की जमीन पर कुर्ला के स्थानिय नागरिकों का हक है, वहां गार्डन बनना चाहिए। आप नेता संदीप कटके ने कहा की धारावी के 4 लाख से अधिक लोगों को अपात्र कर कुर्ला और मुंबई के अन्य स्थानों पर बसने के लिए क्यों मजबूर किया जा रहा है।

पात्र -अपात्र के मुद्दे पर कोई सफाई क्यों नहीं !

पात्र -अपात्र का पैमाना और कैटेगरिया के मुद्दे पर कोई बात नहीं होती, इस बारे में कोई प्लान नहीं है, सिर्फ सरकारी जमीन हथियाने का प्लान है। कांग्रेसी नेता सुभाष भालेराव ने कहा हम लोग हक की हर लड़ाई को दिल्ली से मुंबई तक लड़ने को तैयार हैं। इसके लिए कांग्रेस के राहुल गांधी और वर्षाताई के साथ हम सभी खड़े हैं, कुर्ला मदर डेयरी और कुर्ला कॉम्प्लेक्स की जमीन अडानी को दिए जाने के खिलाफ जंग जारी रहेगा।

इस सभा को अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया। इस सभा की अध्यक्षता कर रहे शिवसेना नेता डॉ. महेश पेडनेकर ने सभी को धन्यावाद करते हुए कहा की धारावी परियोजना के लिए अडानी को दिए गए जमीन पर संघर्ष जारी रहेगा।

Tegs: #Meaning-of-forcibly-sending-runners-to-kurla

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