एमडीएल ने भारतीय नौसेना को सौंपी पांचवी पनडुब्बी

प्रहरी संवाददाता/मुंबई। मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (“एमडीएल”) ने भारत सरकार की ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ को आगे बढ़ते हुए प्रोजेक्ट पी- की पांचवीं स्कॉर्पीन पनडुब्बी ‘वागीर’ 20 दिसंबर को भारतीय नौसेना को सौंप दिया है। इस परियोजना की पांचवीं पनडुब्बी – 75, कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी है। बता दें कि पी – 75 में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है।

भारतीय नौसेना (Indian Navy) के अनुसार इन पनडुब्बियों का निर्माण मैसर्स नेवल ग्रुप, फ्रांस के सहयोग से मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) मुंबई द्वारा किया जा रहा है। इसे 12 नवंबर 20 को लॉन्च की गई, वागीर ने 01 फरवरी 22 से समुद्री परीक्षण शुरू किया था। वागीर अन्य पनडुब्बियों की तुलना में कम से कम समय में हथियार और सेंसर परीक्षणों सहित सभी प्रमुख परीक्षणों को पूरा किया है।

इस कड़ी में दिलचप्स बात यह है कि पनडुब्बियों का निर्माण जटिल है। क्योंकि सभी उपकरणों को छोटा करने व गुणवत्ता की जरूरतों को देखते हुए इन्हें तैयार करना आसान नहीं होता। लेकिन भारतीय यार्ड में इन पनडुब्बियों का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक और कदम है और इस क्षेत्र में आत्मविश्वास बढ़ाता है।

उल्लेखनीय है कि यह 24 महीने की अवधि में भारतीय नौसेना को दी गई तीसरी पनडुब्बी है। पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा। इससे नौसेना की क्षमता में वृद्धि होगी।

इस अवसर पर सीएमडी एमडीएल (CMD MDL) ने कहा कि वागीर की डिलीवरी के साथ, भारत ने एक पनडुब्बी निर्माण राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है। एमडीएल भारत के अग्रणी शिपयार्डों में से एक के रूप में अपनी प्रतिष्ठा पर खरा उतरा है।

कलवारी, खंडेरी, करंज, वेला और अब वागीर नाम की पांच पनडुब्बियों की डिलीवरी ने पनडुब्बी निर्माण करने वाले देशों के विशेष समूह में भारत की सदस्यता की फिर से पुष्टि की।

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