विजय कुमार साव/गोमियां (बोकारो)। वट वृक्ष के नीचे पति की लंबी उम्र के लिए सुहागिनों ने वट सावित्री की पूजा की। पूजा के उपरांत सुहागिन महिलाएं ब्राह्मणों से कथा का श्रवण की।
ज्ञात हो कि, वट सावित्री पूजा का महत्व आदिकाल से ही माना जा रहा है। वट सावित्री व्रत करने वाली महिलाएं अपने सुहाग की लंबी आयु की कामना करती है। इस दिन व्रती वट वृक्ष के नीचे पूजा अर्चना एवं ब्राह्मणों से कथा सुनती है।
इसे लेकर गोमियां प्रखंड के हद में 19 मई को पलिहारी, स्वांग उत्तरी, स्वांग दक्षिणी तथा गोमियां पंचायतो में स्थित कई वट वृक्ष के नीचे महिलाएं पूजा करती हुई दिखी।
ब्राह्मणों के अनुसार पतीव्रता सावित्री को मालूम था कि उसके पति की आयु आधी है, फिर भी उन्होंने यह जानते हुए भी सत्यवान से विवाह की। निश्चित समय पर जब यमराज सत्यवान को अपने साथ ले जाने लगे तब सावित्री उनके पीछे पीछे जाने लगी।
कई बार मना करने पर भी वह नहीं मानी। सावित्री के साहस और त्याग को देखकर यमराज प्रसन्न हुए और तीन वरदान मांगने को कहा, जिसमें से सावित्री ने पहला दृष्टिहीन सत्यवान के माता-पिता के नेत्र की ज्योति मांगी। दूसरा खोया राजपाट मांगा और तीसरा स्वयं सौ पुत्रों की वरदान मांगी।
यमराज के तथास्तु कहने के बाद वे समझ गये कि अब सत्यवान की आत्मा को ले जाना असम्भव है। यमराज ने तब उन्हें अखंड सौभाग्यवती रहने का आशीर्वाद दिया और सत्यवान को जीवित कर चले गए।
जिस समय यह घटना घटी थी उस समय सावित्री वट वृक्ष के नीचे अपने पति सत्यवान को लेकर बैठी हुई थी। इसलिए इस दिन महिलाएं अर्पण भोग एवं धागा लपेट कर अपने पति की दीर्घायु की कामना करती है।
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