बरवाबेड़ा गांव के भू-गर्भ में लगभग 40 मिलियन टन कोयला का भंडार
एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में सीसीएल बीएंडके क्षेत्र के एकेकेओसी परियोजना विस्तार को लेकर बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट करने के लिए प्रबंधन रेस हो गया है। गांव के रहिवासियों को तीन किलोमीटर दूर केएसपी फेज दो परियोजना के पास नये आरआर साइट (पुनर्वास स्थल) में शिफ्ट किया जाना है।
बताया जाता है कि सीसीएल प्रबंधन द्वारा बरवाबेड़ा गांव के दरगाह मुहल्ला को जहां शिफ्ट किया जाना है, वहां लगभग 20 करोड़ रुपये से शिफ्टिंग का कार्य संबंधित संवेदक ने किया है। प्रबंधन ने प्रथम चरण में यहां शिफ्ट होने वाले करीब 80 रहिवासियों को प्लॉट आवंटित कर दिया है। बोकारो डीसी व बेरमो एसडीओ के निर्देश पर बेरमो सीओ को मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया है।
इस क्रम में बीते 4 जनवरी को करगली कल्याण मंडप में बेरमो एसडीओ मुकेश मछुआ और सीओ संजीत कुमार सिंह की उपस्थिति में प्रबंधन ने भी ग्रामीणों के साथ बैठक कर सारी बातों से अवगत करा दिया है। पीओ के.एस. गैवाल ने बताया कि शिफ्टिंग को लेकर प्रबंधन ने पहल शुरू कर दी है।
सीआइएसएफ जवानों के साथ सीसीएल के सुरक्षा कर्मी और पुलिस बल की तैनात रहेगी। दो साल से शिफ्टिंग को लेकर प्रबंधन प्रयास कर रहा है। अब शिफ्टिंग की प्रक्रिया को तेज की जायेगी। बेरमो सीओ संजीत कुमार सिंह ने कहा कि शिफ्टिंग कराना प्रबंधन का काम है। जहां जरूरत होगी वे प्रबंधन की मदद करेंगे।
ज्ञात हो कि बरवाबेड़ा गांव की शिफ्टिंग के बाद सीसीएल को इस गांव के भू-गर्भ से लगभग 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा। सालाना सात से 11 मिलियन टन तक कोयला सात साल तक उत्पादन किया जा सकेगा। बरवाबेड़ा गांव के करीब 250 घरों को शिफ्ट किया जाना है। पहले फेज में शिफ्टिंग के लिए गांव के दरगाह मुहल्ला के करीब 80 रहिवासियों को पांच-पांच डिसमिल जमीन दी गयी है। अन्य की शिफ्टिंग के लिए कागजी कार्रवाई चल रही है।
दरगाह मुहल्ला के 37 रहिवासियों का शिफ्टिंग के लिए प्रबंधन ने एसेसमेंट किया है। इनके घर के एवज में मुआवजा देना है, जिसके लिए प्रबंधन के पास फिलहाल चार करोड़ रुपया सीसीएल मुख्यालय से आया हुआ है। जो रहिवासी नये पुनर्वास स्थल में शिफ्ट नहीं होना चाहते हैं, उन्हें छह लाख रुपये दिये जायेंगे। इसके अलावा शिफ्ट होने वाले रहिवासियों को कोल इंडिया की एन्युटी स्कीम का लाभ भी मिलेगा
बरवाबेड़ा गांव को शिफ्ट किये जाने का विरोध गोविंदपुर के विस्थापित रैयत कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनकी जमीन 80 के दशक में सीसीएल ने अधिग्रहित की थी और 84 विस्थापितों को नौकरी देने का एग्रीमेंट किया गया था।
बावजूद इसके 63 प्रभावित रैयतों को नौकरी दी गयी। 21 रैयत को नौकरी अभी तक नहीं मिली है। ऐसे में पुनर्वास स्थल की जमीन हमारी है। जब तक बकाया नौकरी नहीं मिलेगी, यहां बरवाबेड़ा गांव के रहिवासियों को प्लॉटिंग नहीं करने देंगे। वर्ष 2020 में नये पुनर्वास स्थल में संवेदक ने काम शुरू किया तो गोविंदपुर के विस्थापित रैयतों ने विरोध किया था। बेरमो विधायक कुमार जयमंगल व बेरमो एसडीएम की मध्यस्थता में विस्थापित रैयतों की तीन -चार बार बैठक हुई।
सीसीएल सीएमडी स्तर पर भी दो राउंड विधायक की मौजूदगी में वार्ता हुई। विस्थापित संघर्ष समिति के अनुसार विस्थापितों ने सीसीएल प्रबंधन को अपनी जमीन की वंशावली भी प्रस्तुत की, लेकिन प्रबंधन का कहना है कि जिस वक्त जमीन अधिग्रहण किया गया था, उसी वक्त सभी 84 विस्थापित रैयतों को नौकरी दे दी गयी थी।
दूसरी ओर परियोजना प्रबंधन का कहना है कि सीओ की मध्यस्थता में ऑन रिकाॅर्ड विस्थापितों से कहा गया कि अगर उनके पास कागजात है तो दिखाएं, लेकिन विस्थापितों ने कागजात सबमिट नहीं किया। जानकारी के अनुसार नये पुनर्वास में संबंधित संवेदक ने वर्ष 2023 में काम समाप्त कर दिया है, लेकिन प्रबंधन को अभी तक हैंड ओवर नहीं किया गया है। जानकारी के अनुसार सीसीएल प्रबंधन को पोल व लाइट लगाने के लिए संवेदक को देना था, लेकिन प्रबंधन द्वारा इस पर पहल नहीं किये जाने के बाद संवेदक ने हैंड ओवर के लिए प्रबंधन को पत्राचार किया।
फिलहाल अभी तक प्रबंधन ने हैंड ओवर नहीं लिया है। पीओ के अनुसार संवेदक को एरिया के एसओसी सतीश कुमार सिंहा को हैंड ओवर देना है। इस संबंध में एसओसी सतीश कुमार सिंहा ने कहा कि आरआर साइट में कुछ काम अभी बाकी है, इसलिए हैंड ओवर नहीं लिया गया है।
मालूम हो कि नये पुनर्वास स्थल में दो जगह चहारदीवारी की गयी है। एक चहारदीवारी के अंदर मस्जिद व मदरसा का निर्माण कराया गया है, जबकि दूसरी चहारदीवारी में नाली व पीसीसी पथ का निर्माण कराया गया है। कुल 14 करोड़ 61 लाख 65 हजार 896 रुपये की लागत से संजय कंस्ट्रक्शन ने इस काम को लिया था। बाद में पेटी पर 85 फीसदी काम दूसरे संवेदक ने किया। छह सितंबर 2020 में काम शुरू किया गया और वर्ष 2023 में संवेदक द्वारा यहां काम समाप्त कर दिया गया है।
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