एस.पी.सक्सेना/समस्तीपुर (बिहार)। चर्चित नक्सलबाड़ी आंदोलन के 54वां वर्षगांठ के अवसर पर समस्तीपुर शहर (Samastipur city) के विवेक-विहार मुहल्ला में 25 मई को भाकपा माले (Bhakpa Male) द्वारा संकल्प दिवस के रूप में मनाते हुए धरना दिया गया। इस दौरान आंदोलन में शहीद हुए कॉमरेड साथियों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त किया गया एवं शहीदों के सपने को मंजिल तक पहुंचाने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम में माले जिला कमिटी सदस्य सुरेन्द्र प्रसाद सिंह, बंदना सिंह आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर भाकपा माले नेता सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि कांग्रेस के कुशासन से उब चुकी जनता ने देश की बेहतरी की इच्छा पाले संघ-भाजपा के द्वारा दिखाये गये सब्जबाग का शिकार होकर मोदी सरकार को अपार बहुमत से सत्ता सौप दी। सरकार बनते ही जनाकांक्षा के विपरीत मोदी सरकार एक से बढ़कर एक जनविरोधी कानून मसलन नोटबंदी, जीएसटी, श्रम कानून, किसान कानून आदि लाकर पहले से परेशान जनता की फटेहाली पर चस्पे पे चस्पे जड़ती चली गई। उन्होंने कहा कि देश के धरोहर रेल, जहाज, लाल किला, बैंक, एलआईसी, एचपीसीएल आदि सरकारी संस्थानों को निजी हाथों में बेच दिया गया। परिणाम हुआ छात्र, नौजवान, किसान, मजदूर, महिला, कर्मचारी, व्यवसायी आदि वर्ग तंगहाली के शिकार होते चले गये और अदानी, अंबानी समेत संपूर्ण कॉरपोरेट घराने की संपत्ति आकाश छूती चली गई। इतना ही नहीं साजिश के तहत एक धर्म को दूसरे तो दूसरे जाति और समूह को तीसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया गया। देश का मजबूत आधार शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा आदि पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। फलस्वरूप कोविड काल में चिकित्सक, वेंटीलेटर, आक्सीजन सिलिंडर, सीटी स्कैन, जांच, दवा, बेड आदि के अभाव में सैकड़ों लोग प्रतिदिन असमय काल के गाल में समाते जा रहे हैं। सिर के बल खड़ी ऐसी सरकार को पैर के बल खड़ा करने का संकल्प हमें नक्सलबाड़ी आंदोलन देता है। देश की जनता नक्सलबाड़ी आंदोलन से प्रेरणा लेकर कोविड जनसंहार रचाने के आरोपी मोदी- शाह सरकार के खिलाफ आंदोलन को और तेज करेगी।
विदित हो कि पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी ईलाके से जमींदारों के खिलाफ बटाईदार किसानों ने 25 मई 1967 को नक्सलबाड़ी आंदोलन की शुरुआत की थी। इसे “बसंत का वज्रनाद” भी कहा जाता है। देखते ही देखते कॉमरेड चारू मजूमदार,कन्हाई सेन आदि के नेतृत्व में शुरू यह आंदोलन बुनियादी मुद्दों और हकों की बात करते हुए सुदूर उत्तर से सुदूर दक्षिण भारत समेत कई इलाकों में दवानाल की तरह फैल गया था।
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