महात्मा हंसराज पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे-प्राचार्य
सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। डीएवी पब्लिक स्कूल गुवा (DAV Public School Gua) में महात्मा हंसराज की जयंती पूरे हर्षो उल्लास एवं उमंग से स्कूल के प्राचार्य डॉ मनोज कुमार की अध्यक्षता में मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत धर्म शिक्षक राजवीर सिहं एवं आशुतोष शास्त्री के द्वारा वेद मंत्रों के साथ महात्मा हंसराज के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर की गई।
मौके पर विद्यालय के प्राचार्य डॉ मनोज कुमार ने विद्यालय के एक हजार बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि महात्मा हंसराज अविभाजित भारत के पंजाब के आर्यसमाज के एक प्रमुख नेता और शिक्षाविद थे।
सच्चाई यह है कि महात्मा हंसराज पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देश भर में डीएवी के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि महात्मा हंसराज बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। केवल 12 वर्ष की उम्र में ही इनके पिता का देहांत हो गया। उनकी आंरभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से ही प्रारम्भ हुई थी। डिग्री की शिक्षा उन्होंने ‘गवर्नमेंट कॉलेज’, लाहौर से पूरी की। प्राचार्य डॉ मनोज ने कहा कि महात्मा हंसराज स्वामी दयानन्द सरस्वती के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे।
वे जातिवाद के प्रबल विरोधकर्ता थे। पंजाब में दयानंद एंग्लो वैदिक विद्यालयों की स्थापना करने के कारण उनकी कीर्ति अमर है। महात्मा हंसराज का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रान्त के होशियारपुर के निकट बजवाड़ा गांव में हुआ था।
प्राचार्य ने बताया कि महात्मा हंसराज 22 वर्ष की आयु में डीएवी स्कूल में प्रधानाचार्य के रूप में अवैतनिक सेवा आरम्भ की, जिसे 25 वर्षों तक करते रहे। अगले 25 वर्ष उन्होंने समाज सेवा के लिये दिये। 74 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया।
उन्होंने वर्ष 1895 में बीकानेर में आये भीषण अकाल के दौरान दो वर्षों तक बचाव व सहायता का कार्य किया और इसाई मिशनरियों को सेवा के छद्मवेश में पीड़ित जनता का धर्म-परिवर्तन करने से रोका। लाला लाजपत राय इस कार्य में अग्रणी रहे।
जोधपुर के अकाल में लोगों की सहायता, 14000 अनाथ बच्चे आर्य आनाथालयों में पालन-पोषण के लिये लाये गये। इसी तरह महात्मा हंसराज के नेतृत्व में 1905 में कांगड़ा में, 1935 में क्वेटा में, 1934 में बिहार में पीड़ितों की सहायता की गयी।
आयोजित कार्यक्रम (Organized Program) में दर्जनो शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मियों में अनन्त कु उपाध्याय, एस राय, दीपा राय, पुष्पांजलि नायक, नीलम सहाय, शशि भूषण तिवारी, वी लता रानी, भाष्कर चन्द्र दास, आदि।
एस के पांडेय एवं कुमार कश्यप ने महात्मा हंसराज के चित्र पर पुष्प अर्पण कर उन्हें नमन किया। मौके पर उपस्थित बच्चों में विशेष उत्साह व हर्ष देखा गया। जस अवसर पर उपस्थित बच्चों ने महात्मा हंसराज के पद चिन्हों पर चलने का प्रण किया।
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