ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। अविभाजित भारत में शिक्षा का अलख जगाने एवं समाज को रूढ़ियों से बचाकर एक नई दिशा देने के उद्देश्य से महात्मा हंसराजजी ने लाहौर में 1886 ई. में पहला डीएवी स्कूल खोलकर 25 वर्षों तक अवैतनिक सेवा की। उस महापुरुष की 19 अप्रैल को बोकारो जिला के हद में डीएवी पब्लिक स्कूल तेनुघाट में 161वीं जयंती मनाया गया।
इस अवसर पर प्रातः प्रार्थना सभा में स्कूल की प्राचार्या स्तुति सिन्हा ने डीएवी के संस्थापक महात्मा हंसराज के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित की। तदनंतर शिक्षक-शिक्षिकाओं द्वारा पुष्प अर्पित किया गया। इस अवसर पर प्राचार्या सिन्हा ने बच्चों को बताया कि महात्मा हंसराज का जीवन असीम त्याग एवं बलिदान का प्रतीक है। डीएवी परिवार एवं समाज इनके द्वारा किए उपकार का हमेशा ऋणी रहेगा। हम सबको इनके बताये मार्ग पर चलना चाहिए।
इस अवसर पर सृष्टि कुमारी एवं अनन्या कश्यप ने हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में महात्मा हंसराज के संबंध में अपने विचार व्यक्त किए। वहीं पाठ्य सहगामी गतिविधियों (सीसीए) के अन्तर्गत छोटे -छोटे बच्चों ने महात्मा हंसराज का वेश धारण कर अपने विचार व्यक्त किए तथा कोलाज़ प्रतियोगिता (कलाकृति) में बच्चों ने महात्मा हंसराज के सुन्दर रुप की आकर्षक कलाकृतियाँ बनाईं।
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