सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला के हद में स्थित गुवा सेल खदान में एमडीओ के विरुद्ध झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के नेतृत्व में संयुक्त यूनियनों ने विशाल विरोध प्रदर्शन कर गुवा क्लब में 3 सितंबर को आंदोलन करने की रणनीति बनाई।
इस अवसर पर एमडीओ के विरोध प्रदर्शन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कोड़ा ने संयुक्त यूनियनों को संबोधित करते हुए कहा कि सेल प्रबंधन गुवा सेल खदान को एमडीओ का नाम देकर एक निजी कंपनी ठेकेदार को देना चाह रही है। यहां के सभी संयुक्त यूनियन, सेलकर्मी तथा सारंडा के आसपास गांव के ग्रामीण इसका पुरजोर विरोध करती है।
उन्होंने कहा कि गुवा सेल खदान में निजीकरण कभी भी नहीं होने दिया जाएगा। चाहे इसके लिए क्यों ना हमें आंदोलन करना पड़े या सेल का चक्का जाम करना पड़े। सेल में निजीकरण होने से सेल में होने वाली बहाली पूरी तरह से बंद हो जाएगी। यहां के स्थानीय रहिवासियों को रोजगार नहीं मिलेगा। सेल प्रबंधन द्वारा ऐसा करने का हम सभी संयुक्त यूनियन के साथ विरोध करते हैं और किसी भी हालत में एमडीओ को गुवा नहीं आने दी जाएगी।
पूर्व सीएम कोड़ा ने कहा कि सेल प्रबंधन एमडीओ के नाम पर यहां के रहिवासियों को गुमराह कर रही है। यहां के रहिवासी एमडीओ के बारे में कुछ जानते भी नहीं है। एमडीओ क्या है। इसका मतलब होता है माइनिंग डेवेलपर्स ऑपरेशन। परंतु यहां के मजदूर गुवा सेल खदान में 2 मिलियन से बढ़ाकर 4.2 मिलीयन टन तक कर दिया है। मजदूरों में अभी भी ताकत है कि इसे 10 मिलियन टन तक कर सकता है।
जब मजदूरों में इतनी क्षमता है तो बाहर से बुलाकर प्राइवेट को देने की क्या जरूरत। अगर सेल प्रबंधन एमडीओ को वापस नहीं लेती है तो सड़क से लेकर सदन तक आंदोलन करेंगे। यहां के सभी यूनियनों ने सेल प्रबंधन को फुफकारना छोड़ दिया है, जिसके कारण सेल प्रबंधन सभी यूनियनों को पैरों तले कुचलने का कार्य कर रही है।
उन्होंने कहा कि गुवा लौह अयस्क खान में आजादी के पहले से खनन कार्य चल रहा है। जिसमें टेक्निकल व नन टेक्निकल लगभग 2000 कर्मी नियमित रूप से कार्य करते रहे हैं। खनन की क्षमता 2.9 मिलियन टन से प्रतिवर्ष लौह अयस्क उत्पादन 4.2 मिलियन टन प्रतिवर्ष हो गया है।
अब गुवा खदान में कार्यरत स्थाई कर्मचारी की संख्या मात्र 400 से भी कम रह गया है। इसके स्थान पर बहाली के नाम पर बहुत ही कम कामगारों को लिया गया है। ठेका मजदूरों से टेक्निकल व नन टेक्निकल कार्य कराया जा रहा है। जो श्रम कानून का घोर उल्लंघन है।
ज्ञात हो कि, कॉन्ट्रैक्ट लेबर (रेगुलेशन व एबोलिशन) एक्ट 1970 के सेक्शन 10 सब सेक्शन 1 में व्यवस्था दिया गया है की कोर एक्टिविटी जो 24 घंटो और सालों भर चलने वाले कार्य पर मुख्य नियोक्ता कंपनी ठेका मजदूरों से नहीं करा सकता है।
परंतु अब गुवा अयस्क खान द्वारा खनन कार्य का काम स्थाई रिक्त पदों पर बहाली कर काम नहीं कराया जा रहा है। बल्कि उल्टे श्रम कानून,लेबर कानून को ताक में रखकर सार्वजनिक कंपनी सेल द्वारा अब गुवा अयस्क खदान का खनन कार्य एमडीओ के माध्यम से निजी ठेकेदार को देकर श्रम कानून का उल्लंघन किया जा रहा है।
पूर्व सीएम कोड़ा ने कहा कि वे सेल प्रबंधन से मांग करते हैं कि गुवा लौह अयस्क खान सेल द्वारा एमडीओ के माध्यम से नहीं कराया जाए। गुवा सेल कंपनी में जितने रिक्त पद (टेक्निकल व नन टेक्निकल) है उनकी बहाली अविलंब निकाल कर रिक्त पद भरा जाए।
गुवा सेल कंपनी में स्थाई बहाली में स्थानीय ग्रामीण व मजदूर के परिजनों को प्राथमिकता दी जाए। गुवा में सीएसआर के तहत अपने अपने पेरीफेरल क्षेत्र में सामुदायिक विकास हेतु कार्य के लिए सुनिश्चित बजट का प्रावधान किया जाए तथा कार्य स्थानीय के द्वारा कराया जाए।
आंदोलन में संयुक्त यूनियनों के पदाधिकारियों में झारखंड मजदूर संघर्ष संघ अध्यक्ष रामा पांडेय, राजेन्द्र सिंधिया, अन्तर्यामी महाकुड, आफताब आलम, चरकु पान, विष्णु कुमार, किशोर सिंह, बेहरा पान, उदय सिंह, रितेष पाणिग्रही, संजू गोच्छाईत, इंटक के दुच्चा टोप्पो, जय सिंह नायक व रमेश गोप, सीटू के मनोज मुखर्जी, एटक के सुरेश चन्द्र पण्डा, अंजनी कुमार सिंह, आदि।
झारखंड मजदूर यूनियन के पंचम जॉर्ज सोय, वीर सिंह मुण्डा, सप्लाई मजदूर संघ के राजेश कोडा, गंगाराम ठठेरा व भावेश ठाकुर, सारंडा मजदूर यूनियन के निर्मलजीत सिंह व कुल बहादुर थापा के अतिरिक्त सोनाराम पिंगुवा, जगमोहन सामड, सुरेश पान, अजय बानरा, लक्ष्मी नारायण राउत, आदि।
मोदी राम बेहरा, सुनील पासवान, नवीन कोंकारी, बुद्धन सिंह कोकल, संजय तिग्गा, कामरान हसन, साधना सिंह, बंसती करुवा, चंद्रिका खण्डाईत, आरती होरो, लक्ष्मी बड़ाईक आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम में मंच संचालन मजदूर नेता नरेश दास एवं धन्यवाद झापन अन्तर्यामी
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