कबीर ज्ञान मंदिर में 3 जुलाई से मां ज्ञान महायज्ञ का आयोजन

भव्य शोभायात्रा के साथ शुरू होगा त्रिदिवसीय मां ज्ञान महायज्ञ

ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। गिरिडीह शहर का गौरव संत कबीर ज्ञान मंदिर में आगामी 3 से 5 जुलाई तक त्रिदिवसीय मां ज्ञान महायज्ञ का विराट आयोजन किया जा रहा है। इस आयोजन की तैयारी काफी जोरों पर है।

जानकारी के अनुसार त्रिदिवसीय मां ज्ञान महायज्ञ के अवसर पर 3 जुलाई को अपराह्न बेला में भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जिसमें सनातन मूल्यों को शिखरासीन करने वाले तथा समाज को संस्कृति का संदेश देने वाले झांकियों का भी समावेश किया जाएगा। इस विराट कार्यक्रम के दूसरे दिन से श्रीमद्भगवद्गीता ज्ञानयज्ञ, गीता ज्ञान गोष्टी, कबीर गोष्ठी व भजन संध्या का आयोजन किया जाएगा।

इन कार्यक्रमों में छोटे–मोटे बच्चों द्वारा अनेकानेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की जाएगी जिसमें शंबुक शुद्र वध कितना सच, कितना झूठ? का नाट्य मंचन किया जाएगा।

बताया जाता है कि महायज्ञ कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण सदगुरु मां ज्ञान का दिव्य उद्बोधन होगा। जिसे श्रवण करने गिरिडीह और झारखंड ही नहीं पूरे भारतवर्ष के अमन पसंद रहिवासी कबीर ज्ञान मंदिर प्रांगण में पधारेंगे। मां ज्ञान एक दिव्य परम विदुषी संत है, जिनका जीवन पर हितार्थ समर्पित है।

जीवन जीने की कला, राष्ट्रप्रेम, अपने संस्कृति के प्रति गौरव बोध, आडंबर, पाखंड से विशुद्ध अध्यात्म, मन को एकाग्र करने की कला, मानव मात्र के प्रति प्रेम, जाती-पाती से ऊपर उठकर मानव मानव एक है का संदेश उनके उपदेशों की मुख्य विशेषता है।

इस अवसर पर मां ज्ञान द्वारा रचित दो नवीनतम पुस्तक हमारे श्रीराम और जाति का सच का लोकार्पण भी किया जाएगा। उक्त जानकारी कबीर ज्ञान मंदिर ट्रस्ट के सिद्धांत कन्धवे द्वारा 29 जून को दी गई।
गिरिडीह जिला के हद में सिहोडीह सिरसिया में स्थित कबीर ज्ञान मंदिर आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है।

मंदिर परिसर में स्थित गुरु गोविंद धाम मंदिर एक साथ समृद्धि और ज्ञान के संगम का प्रतीक है। मंदिर प्रांगण में स्थित भारत माता का भव्य विग्रह मां ज्ञान के राष्ट्रप्रेम की कथा कहती है। यहां आकर आमजन जहां परिवार से प्रेम करने की कला सीखते हैं, वही राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का बोध पाते हैं।

मां ज्ञान के दिशा निर्देश में मंदिर परिवार द्वारा अनवरत जन कल्याणकारी कार्य किए जाते रहे हैं। जिसमें रक्तदान शिविर का आयोजन, नि:शुल्क जांच शिविर का आयोजन, अभाव ग्रस्त के बीच वस्त्र तथा भोजन आदि का वितरण शामिल है। वर्तमान में मां ज्ञान कौशलम के नाम से बहनो तथा बच्चियों के लिए नि:शुल्क प्रशिक्षण केंद्र चलाया जा रहा है।

जहां महिलाओं के स्वावलंबन हेतु लगभग 1000 से अधिक बच्चियों को मेहंदी, कंप्यूटर कोर्स, सिलाई, ब्यूटीशियन, इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स इत्यादि सिखाई जा रही है। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि कबीर ज्ञान मंदिर आध्यात्मिक केंद्र के साथ-साथ लोक कल्याणकारी कार्य करने में अव्वल रहने वाली संस्था है।

ट्रस्ट परिवार के अरुण माथुर का कहना है कि मां ज्ञान के सानिध्य में ट्रस्ट नित्य अलग-अलग तरीके से लोक कल्याणकारी कार्य करते आ रहा हैं। गुरु मां का उपदेश से कई रहिवासियों का जीवन बदल गया है। हमने यहां आकर क्या पाया यह वाणी का विषय नहीं है।
हनी होली स्कूल की प्रिंसिपल अनीता सिन्हा कहती है कि यह वह स्थान है जहां अधिक से अधिक लोगों को जोड़ना चाहिए।

यहां पूजा-पाठ और कर्मकांड नहीं सिखाया जाता, बल्कि विशुद्ध अध्यात्म सिखाया जाता है। जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। जी.डी. बगड़िया के ख्याति प्राप्त डॉक्टर विकास माथुर कहते हैं कि कबीर ज्ञान मंदिर बेजोड़ संस्था है। काफी लोगों ने यहां से लाभ पाया है। मैं इसका साक्षी हूं। सद्गुरु मां ज्ञान अद्वितीय संत है, जो भी इनसे जुड़ा है अपने जीवन में बदलाव देखा है।

सदगुरु कबीर साहब एक परिचय

परम वैष्णव और निर्गुणवादी संत सदगुरु कबीर साहब किसी विशेष जाति, धर्म अथवा मजहब के शब्द नहीं, अपितु मानव मात्र के संत हैं। उनकी वाणी प्रेम, भक्ति और परोपकार का संदेश देती है। कबीर साहब ने अपनी वाणीयो में आडंबर और पाखंड का पुरजोर खंडन किया है। तत्कालीन जातिवाद की जर्जर व्यवस्था से त्रस्त होकर जर्रे–जर्रे में ईश्वर बसते हैं। संत कबीर ने इसका संदेश दिया। जाति के नाम पर ऊंच और नीच की दीवार से भटकते मानव समाज को एकजुट होकर एक सूत्र में बांधने का संदेश दिया।

सदगुरु कबीर साहब कृत बीजक जहां अध्यात्म के ऊंचाइयों तक ले जाने की सीढ़ी है, वही समाज को एक सूत्र में बांधने का संदेश है। कबीर ने बहुत ही सामान्य जीवन जीते हुए मानव को कर्म करने और जर्रे जर्रे में बसने वाले परमात्मा से प्रेम करने का संदेश दिया। उनकी वाणियां साखी के नाम से प्रसिद्ध है।

जिसके सरल और सहज अर्थ में गंभीर मोतीयां छुपी हुई है। जिसका अनुसरण करने वाले के हृदय में प्रेम का ऐसा विस्तार होता है, जिसमें ना जाति की दीवार होती और न ही मत मजहब की। इसीलिए तो सदगुरु कबीर को संत शिरोमणि की संज्ञा दी गई है।

क्या कहते हैं परम विदुषी संत सद्गुरु मां ज्ञान”

मां ज्ञान ने इस संबंध में कहा है कि यह बहुत ही दिव्य अवसर है, जिसमें हम इतने बड़े कार्यक्रम का अधिकाधिक लाभ ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि जहां संत रहते हैं, वहां ईश्वर का वास होता है। विचार और व्यवहार से सृष्टि प्रभावित होती है। यह सृष्टि ईश्वर की है।

इस सृष्टि में खलल डालना अथवा नेगेटिविटी का प्रचार प्रसार करना व्यक्ति का कर्तव्य नहीं है। अतः अच्छाई का अधिकाधिक प्रचार करें और ईश्वर के कृपा पात्र बने। इस कार्यक्रम में सम्मिलित होकर आप स्वयं भी लाभान्वित होवे तथा अपने परिचितों तथा मित्रों को भी सम्मिलित कर लाभान्वित होने के लिए प्रेरित करें।

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