कसमार के माँ मंगल चंडी मंदिर: एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा

रंजन वर्मा/कसमार (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में कसमार प्रखंड में स्थित माँ मंगल चंडी मंदिर एक प्राचीन धार्मिक स्थल है, जो अपनी विशेष पूजा पद्धतियों और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है।

बताया जाता है कि इस मंदिर में कुछ ऐसी धार्मिक प्रथाएँ हैं, जो समाज का ध्यान आकर्षित करती हैं। एक दिलचस्प बात यह है कि यहाँ महिलाएं मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं कर सकती। महिलाओं का मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित है। वे बाहर से हीं पूजा करती हैं। यह परंपरा काफी पुरानी है।

स्थानीय रहिवासियों का मानना है कि यहाँ पूजा करने के लिए विशेष प्रकार की आस्था और नियमों का पालन करना होता है। मंदिर में हर मंगलवार को विशेष पूजा आयोजित की जाती है, जिसमें बकरा की बलि दी जाती है। पूजा का समय अपराह्न 12 बजे के बाद से होता है। बलि के पश्चात बकरा का मांस मिट्टी में डालकर ढक दिया जाता है, जहाँ कुत्ते या सियार जैसे जानवर उसे नहीं खाते हैं। जो एक रहस्यमय और पवित्र माना जाता है। यह बलि केवल एक ब्राह्मण परिवार द्वारा की जाती है।

इससे जुड़ी एक चौंकाने वाली घटना भी है। बताया जाता है कि एक बार बकरा बलि के बाद घर के माथे को ढंकने से पहले माता की मूर्ति को बाहर निकाल लिया गया था। इसके बाद, वह परिवार पागल हो गया और कुछ ही समय में उनकी मृत्यु हो गई।

इस मंदिर की स्थापना की कथा भी अनोखी है। इसे एक गड्ढे में पूजा स्थल के रूप में स्थापित किया गया था, जहाँ से माता की मूर्ति प्राप्त हुई थी। आज भी इस गड्ढे में माँ मंगल चंडी की पूजा अर्चना जारी है। यह स्थान भक्तों के लिए आस्था का प्रतीक बन चुका है। इस मंदिर की पूजा पद्धतियाँ और परंपराएँ समय के साथ बदलती गई हैं, लेकिन इसकी धार्मिक महत्ता और शक्ति आज भी जीवित है। श्रद्धालु यहाँ अपनी मन्नतें मांगने आते हैं और उनका विश्वास है कि माँ मंगल चंडी उनकी इच्छाएँ पूर्ण करती हैं।

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