प्रहरी संवाददाता/मुंबई। प्रतिष्ठित शायर एवं सिने गीतकार विविध भारती के पूर्व उद्घोषक मुहतरम अहमद वसी ने संगीतकार को हिंदी सिनेमा के सबसे बेहतरीन संगीतकार करार देते हुए कहा कि उन्होंने अपनी फीस से कभी समझौता नहीं किया। हां, उनके दौर में अगर कोई निर्माता अपनी फिल्म की नायिका मधुबाला को बनाता तो वह जरूर अपनी फीस कम कर देते थे।
अहमद वसी रविवार की शाम चित्रनगरी संवाद मंच मुम्बई के साप्ताहिक आयोजन में बतौर ख़ास मेहमान उपस्थित शायरों, संगीतकारों, गायकों और साहित्यप्रेमियों से रूबर थे। एक प्रसंग का ज़िक्र करते हुए वसी साहब ने कहा कि ओपी नैयर अपनी फीस कभी भी कम नहीं करते थे। इसी कारण उनके हाथ से नमक हलाल और दास्तान जैसा बड़ी फिल्में निकल गई।
अब तक पांच किताबें लिख चुके प्रतिष्ठित शायर अहमद वसी ने अपनी चुनिंदा ग़ज़लें और नज़्मे सुना कर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की। “गहराइयों से मुझ को किसी ने निकाल के, फेंका है आसमान की जानिब उछाल के। हर शख़्स से मिला हूँ बड़ी एहतियात से, हर शख़्सिय्यत को मैं ने पढ़ा है सँभाल के।”
इस अवसर पर डॉ बनमाली चतुर्वेदी, कवि राजेंद्र वर्मा, गीतकार रास बिहारी पांडेय, कवि अनिल गौड़, कवि अभिनेता अरुण शेखर, अभिनेता अविनाश प्रताप सिंह, कवि प्रदीप गुप्ता, कवि राजेश ऋतुपर्ण, पत्रकार चंद्रकांत जोशी, और संगीतकार उस्ताद वजाहत हुसैन ख़ान ने अपनी मौजूदगी से आयोजन की गरिमा बढ़ाई।
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