एस. पी. सक्सेना/पटना (बिहार)। बिहार की राजधानी पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी स्थित कमला नेहरु शिशु विहार विद्यालय परिसर में 26 नवंबर को कातिल खेत नाटक का मंचन किया गया। लोक पंच द्वारा प्रस्तुत नाटक कातिल खेत के मंचन के अवसर पर उपस्थित दर्शकों ने नाटक के एक एक संवाद पर जमकर तालियां बजायी।
चर्चित टीवी कलाकार मनीष महिलाल के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक कातिल खेत में किसानों के दर्द को दर्शाया गया है। उक्त नाटक में हास्य व्यंग का पुट जगह जगह देखने को मिला।
प्रस्तुत नाटक कातिल खेत का कथासार इस प्रकार है। नाटक “क़ातिल खेत” के माध्यम से दिखाया गया कि एक किसान है जो अपनी किसानी से खुश है। थोड़ा-थोड़ा अपनी जरूरत की सभी खाद्य सामग्री की उपज कर लेता है।
एक दिन किसान को हल जोतते समय उसके खेत से एक चिराग निकलता है। वह चिराग को साफ करता है, तभी उसके अंदर से जिन्न निकलता है और सलाह देता है कि तुम अपने खेत में रासायनिक खाद का उपयोग करो। उपज 5 गुना होगा। एक बार में एक फसल लगाओ तो और ज्यादा फायदा होगा। खर्च थोड़ा ज्यादा लगेगा।
दूसरी ओर किसान की पत्नी किसान को यह सलाह मानने से बार-बार मना करती है, लेकिन किसान नहीं मानता है। वह महाजन (सुदखोर) से कर्जा, पईचा, लोन लेकर खेती शुरू करता है। बार-बार कर्ज लेता है पर समय पर चुका नहीं पाता है। मजबूरन उसे अपने सारे फसल, अपनी जमीन से हाथ धोना पड़ता है। अंत में वह आत्महत्या कर लेता है।
प्रस्तुत नाटक में किसान की भूमिका स्वयं नाटक के निर्देशक मनीष महिवाल ने निभाया है, जबकि किसान की पत्नी की भूमिका प्रियांका सिंह, जिन्न की भूमिका गुलशन कुमार ने निभायी है। नाटक में कृष्णा देव एवं प्रिंस कुमार बैल बने हैं। ग्रामीण अरबिंद कुमार, मुखिया अभिषेक बिहारी, खान चंदन कुमार, महाजन का मुंशी अभिषेक राज, महिला का किरदार वीना गुप्ता तथा ग्रामीण का किरदार अभिषेक ने निभाया है।
मंच से परे संगीत अभिषेक राज, प्रकाश राम प्रवेश, प्रॉपर्टी कृष्ण देव,
मेकअप रोज सिंह, कार्ड नीरू कुमारी, परिवहन अभिषेक बिहारी, फोल्डर अभिजीत चक्रवर्ती, मंच व्यवस्था रजनीश पांडेय, वस्त्र विन्यास रितिका तथा लेखक इश्तियाक अहमद हैं।
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