प्रथम पुण्यतिथि पर याद किये गए साहित्यिक सांस्कृतिक सूत्रधार डॉ व्रज कुमार पांडेय

हाजीपुर में डॉ व्रज कुमार पांडेय की प्रथम स्मृति समारोह आयोजित

प्रहरी संवाददाता/सारण (बिहार)। सारण जिला के निकटवर्ती वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर के राज नारायण महाविद्यालय के यूनिवर्सिटी प्रोफेसर, चार दर्जन पुस्तकों के लेखक अनेकों प्रगतिशील संस्थानों के राष्ट्रीय पदाधिकारी, लाइब्रेरी के संरक्षक और राजनीतिक चिंतक डॉ व्रज कुमार पांडेय की प्रथम स्मृति समारोह बीते 4 मई की संध्या आयोजित किया गया।

बाबू शिवजी राय मेमोरियल लाइब्रेरी हाजीपुर में आयोजित पुण्यतिथि में सर्वप्रथम साहित्यकारों, छात्रों, राजनीतिक हस्तियों, रंगकर्मियों, शिक्षकों, संस्कृति कर्मियों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किया। सीपीआई के वैशाली जिला सचिव अमृत गिरि की अध्यक्षता में आयोजित स्मृति समारोह में दिवंगत डॉ पांडेय के व्यक्तित्व और कृतित्व पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला।

वामपंथी नेता कॉमरेड अजय कुमार ने उनके राजनीतिक सोच, उनके आंदोलनों और विचारों के समन्वय पर प्रकाश डाला और विषय प्रवेश कराया। जदयू युवा नेता संतोष कानन ने डॉ व्रज कुमार के शिक्षा जगत में कार्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे स्वयं में राजनीति विज्ञान के अकादमी थे। विधिज्ञ संघ के उपाध्यक्ष मुकेश रंजन ने भावुक होकर कहा कि वो नहीं होते तो सैकड़ों गरीब, दलित, वंचित धन और मार्गदर्शन के अभाव में एम. ए पीएचडी कर अध्यापक और सृजनकर्ता नहीं बनते।

युवा छात्र वीरू पासवान ने बताया कि उनके पिता डॉ पांडेय के घर के पास मजदूरी करते थे। उन्होंने बचपन में ही मुझे अपना लिया। वे शिक्षा के महत्व बताकर, पैसे देकर, पास रखकर मुझे इंसान बनाया। शिक्षक डॉ शिव बालक राय उनके पुस्तकों की चर्चा की। चिकित्सक और विद्वान डॉ नंदेश्वर प्रसाद सिंह ने उनके राजनीतिक और वैचारिक जुझारूपन और विचार पर एक इंच नहीं समझौता करने वाला जनयोद्धा कहा।

रंगकर्मी एवं प्रगतिशील लेखक संघ के जिला सचिव क्षितिज प्रकाश ने कहा कि संपूर्ण भारत में डॉ पांडेय की कद्र थी और वो जनपद के साहित्यिक सांस्कृतिक सेतु थे। जिनकी कमी कोई पुरा नहीं कर पाएगा। राजनीति विज्ञान के उनके शिष्य और राजनेता रामानंद गुप्ता ने दिवंगत डॉ पांडेय को एक शैक्षणिक संत, राजनीतिक क्रांतिकारी और उदारवादी विराट लेखक बताया। डॉ महेंद्र प्रियदर्शी ने उन्हें शोधकार्य और राजनीति विज्ञान के अद्वितीय प्राध्यापक बताया।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे संसद टीवी के पत्रकार, शोधछात्र और उनके शिष्य कुमार वीर भूषण ने अपने गुरु को अनेकों छात्रों के ईश्वरीय पिता के रूप में रेखांकित किया। अध्यक्षता कर रहे मजदूर कर्मचारी नेता अमृत गिरि ने कहा कि डॉ पांडेय वामपंथ के केंद्र और विचारक थे, लेकिन मार्गदर्शन अन्य पार्टी के नेता और कार्यकर्ता का भी करते थे।

वे कुलीन ब्राह्मण थे, लेकिन वंचितों, पिछड़ों और दलितों के मसीहा थे। उनके जीवन में कभी राग द्वेष नहीं रहा। वे उद्धारक थे, सृजक थे और भारत में एकता, अखंडता और भाईचारे के अनंत योद्धा थे। इस धरती को व्रज कुमार पांडेय जैसा सुपुत्र की हमेशा चाहत रहेगी। रंगकर्मी कर्नल कुमार, अमर यादव, विवेक कुमार आदि ने भी अपने विचार व्यक्त की। अंत में लाइब्रेरी के प्रबंध निदेशक राजेश पराशर ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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