जेल बंदियों को दी गई कानूनी जानकारी

ममता सिन्हा/तेनुघाट (बोकारो)। नालसा एवं झालसा रांची के निर्देश पर प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकार बोकारो रंजना अस्थाना के मार्गदर्शन में 19 फरवरी को तेनुघाट उपकारा में काराधीन बंदियों के बीच जेल अदालत सह विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।

जेल अदालत सह विधिक जागरूकता कार्यक्रम में अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार समिति के सचिव सह एसडीजेएम दीपक कुमार साहू के अगुवाई में रिमांड सह रिटेनर सह जेल अधिवक्ता रितेश कुमार जयसवाल, जेलर नीरज कुमार, सुभाष कटरियार, सुजय कुमार, बिजय कुमार उपस्थित थे।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एसडीजेएम साहू ने ‌अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा बंदियों को प्रदान किए जाने वाले विभिन्न विधिक सहायता के बारे में बताते हुए कहा कि नालसा नई दिल्ली एवं झालसा रांची द्वारा काराधीन बंदियों के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम समय-समय पर चलाए जा रहे हैं।

जिनके माध्यम से उन बंदियों को उचित विधिक सहायता प्रदान की जाती है। इसी के तहत प्रत्येक महीने जेल अदालत का आयोजन किया जाता है।

उन्होंने कहा कि अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से कारा में संसीमित बंदियों को निरंतर विधिक सहायता उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बंदियों के बीच से ही पारा लीगल वॉलिंटियर्स की नियुक्ति की गई है, जो निरंतर बंदियों के संपर्क में रहकर उनकी समस्याओं को कारा प्रशासन के माध्यम से अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार तक पहुंचाते हैं।

उन्होंने बताया कि अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा त्वरित संज्ञान लेते हुए उनकी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि वैसे बंदीगण जो स्वयं के खर्च पर अपना अधिवक्ता रख पाने में असमर्थ हैं, उन्हें विधिक सेवा प्राधिकार के पैनल से निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया जाता है, जो उनके केस में संबंधित न्यायालय में निरंतर पैरवी करते हैं।

उन्होंने कहा कि बंदियों के मामलों की निरंतर मॉनिटरिंग भी विधिक सेवा प्राधिकार के माध्यम से की जाती है। अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा जेल में प्रतिनियुक्त पारा लीगल वालंटियर्स को भी इस संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश देते हुए आम बंदियों के बीच निरंतर जागरूकता कार्यक्रम संचालित करने का उन्होंने निर्देश दिया।

साथ ही जेल पीएलबी को यह निर्देश भी दिया गया कि इस कारा में कोई भी बंदी अपने कानूनी अधिकारों से वंचित नहीं रहे। इसके लिए वे सभी निरंतर आम बंदियों से संपर्क में रहें। यदि किन्हीं को निःशुल्क अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो उसका आवेदन तुरंत कारा प्रशासन के माध्यम से अनुमंडल विधिक सेवा प्राधिकार के ईमेल आईडी तथा कार्यालय में भेजें।

उन बंदियों को तत्काल विधिक सहायता के तौर पर निःशुल्क अधिवक्ता प्रदान किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सभी बंदियों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करना न्याय प्रशासन एवं कारा प्रशासन का दायित्व है। काराधीन बंदियों विशेषकर महिला बंदियों एवं बच्चों को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने हेतु भी आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किया गया।

कार्यक्रम में स्वागत व धन्यवाद ज्ञापन करते हुए जेलर नीरज कुमार ने भी बंदियों को कानूनी दायरे में रहकर जेल के सुविधाओं के बारे में जानकारी प्रदान किया। उन्होंने बंदियों को अपने समय का सदुपयोग कर पढ़ाई लिखाई एवं अन्य हुनर को सीखने के लिए प्रेरित किया।

इस संबंध में उन्होंने कहा कि कारा प्रशासन वैसे बंदी को जो आगे पढ़ाई लिखाई करना चाहते हैं अथवा अन्य तकनीकी ज्ञान हासिल करना चाहते हैं। उसके लिए जेल में सुविधा उपलब्ध कराने हेतु निरंतर प्रयास किया जा रहा है।

बहुत जल्द इस दिशा में सकारात्मक पहल की शुरुआत होने की संभावना है। जेल अधिवक्ता रितेश कुमार जयसवाल ने भी बंदियो को कानूनी जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन अधिवक्ता सुभाष कटरियार ने किया।

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