समय बोध व् सौंदर्यबोध के केन्द्रीय अवधारणा से जुड़ा है भारतीय दृष्टि आधुनिक कला
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। कला, संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार एवं बिहार ललित कला अकादमी पटना के संयुक्त तत्वावधान से कला मंगल श्रृंखला के अंतर्गत अरविन्द ओझा, कला चिंतक और समीक्षक, नई दिल्ली द्वारा 5 मार्च को भारतीय कला दृष्टि और आधुनिक कला विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन कन्सर्ट हॉल, बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर में किया गया।
इस अवसर पर पद्मश्री श्याम शर्मा एवं अशोक कुमार सिन्हा, बिहार म्यूजियम पटना ने अरविन्द कुमार ओझा को पुष्प गुच्छ एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। ओझा ने व्याख्यानमाला में अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय कला दृष्टि और आधुनिक कला दरअसल समय बोध और सौंदर्यबोध के केन्द्रीय अवधारणा से जुड़ा प्रसंग है, जिसमें समय बोध को विस्तार देते हुए उन्होंने वैराग्य शतक के श्लोक का उदाहरण दिया। जिसमें भर्तृहरि कहते है कि समय नहीं बीतता हम सब बीत जाते हैं।
समय की अवधारणा, सौंदर्यबोध की अवधारण को विस्तार देते हुए सच्चिदानंद की दार्शनिक अवधारणा, शिव कार्तिकेय और गणेश के रूपकीय महत्व को रेखांकित करते हुए ओझा ने रस निर्माण और ध्वनि सिद्धांत की बात की। भारतीय कला दृष्टि जहां भाव, रस और आत्मदर्शन से जुड़ा विषय है वहीं आधुनिक कला को व्याख्यायित करते हुए उन्होंने ऐतिहासिक दृष्टि और परम्परांगत दृष्टि को चित्रित किया।
कहा कि पुनर्जागरण काल से जो विचार यूरोप में शुरू हुआ वो किस तरह से भाव वाद और अस्तिव वाद की अवधारणा तक यात्रा करता गया। किस तरह से वैज्ञानिक और दार्शनिक अनुसंधान के माध्यम से आधुनिक कला की संकल्पना को विकसित किया। वह ज्यादा महत्वपूर्ण रहा। आधुनिक और समकालीन कला के संदर्भों और रचनात्मक दृष्टियों को बताते हुए उन्होंने अपनी जड़ों और मौलिक दृष्टियों से जुड़ने का आग्रह किया, ताकि रचनात्मक दृष्टियों में मौलिकता संभव हो पाये।
इस अवसर पर कार्यक्रम के सह संयोजक मनोज कुमार बच्चन, बिरेन्द्र कुमार सिंह तथा वरिष्ठ कलाकार मिलन दास, शैलेन्द्र कुमार, अर्चना सिन्हा, जितेन्द्र मोहन, जयप्रकाश, मनोज कुमार साहनी, अलका दास, साधना देवी, अनीश अंकुर, देवपूजन कुमार, ओमकार नाथ ,चन्दन कुमार, कुमारी शिल्पी रानी एवं कई वरिष्ठ कलाकार, कला समीक्षक आदि उपस्थित रहे। मंच का संचालन मनोज कुमार बच्चन ने किया।
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