उपन्यास बद्रीनारायण की सुहागरात’ का लोकार्पण

— पुस्तकों के प्रति घटती अभिरुचि विषयक गोष्ठी सम्पन्न

प्रहरी संवाददाता/गिरिडीह। अभिनव साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में गिरिडीह के डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ लिखित उपन्यास ‘बद्रीनारायण की सुहागरात’ का लोकार्पण सुमन वाटिका में किया गया। साथ ही ‘पुस्तकों के प्रति घटती अभिरुचि’ विषय पर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार रखे।

लोकार्पण लेखक चंद्रप्रभ के साथ मुख्य अतिथि उदय शंकर उपाध्याय, डॉ.आरती वर्मा, शिवशंकर वर्मा, कृष्ण मुरारी शर्मा, राजेश पाठक, शंकर पांडेय, डॉ संजय कुमार, नवीन सिन्हा व लेखक की पत्नी रेखा वर्मा ने संयुक्त रूप से किया।

लोकार्पण के बाद पुस्तक पर परिचर्चा हुई। उपन्यास के लेखक डॉ छोटू प्रसाद चंद्रप्रभ ने बताया कि इस उपन्यास में बद्रीनारायण एक ऐसा चरित्र है जो किसी भी नये कार्य का आरम्भ करने के पूर्व पंचांग देखता है। तिथि, वार, योग और नक्षत्र आदि शुभ रहने पर ही किसी कार्य का आरंभ करता है।

उसकी नई नवेली पत्नी बिंदिया अपने पति के इस स्वभाव से परेशान हो जाती है। संयोगवश सुहागरात का समय व तिथि पुरुषोत्तम मास में पड़ जाने के कारण दाम्पत्य यात्रा की शुरूआत नहीं हो पाती है। जिसकी वजह से नवदम्पति को कैसी-कैसी मानसिक यंत्रणाएँ सहनी पडती हैं, इसी का समाजशास्त्रीय और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण करने एक कोशिश इस उपन्यास में की गई है।

पुस्तकों के प्रति घटती अभिरुचि विषय पर उपन्यास लोकार्पण करने वालों के अलावा कोशी कॉलेज खगड़िया के प्राध्यापक डॉ कपिलदेव महतो, बद्री दास, डॉ. महेश सिंह, सुनील मंथन शर्मा, लवलेश, प्रभाकर, एस के शुक्ला, रामजी यादव, प्रदीप गुप्ता, दीपक विश्वकर्मा आदि ने अपने-अपने विचार रखे।

डॉ महेंद्र नाथ गोस्वामी के ऑनलाइन भेजे गए वक्तव्य को प्रभाकर ने पढ़कर सुनाया। संचालन शंकर पांडेय ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में अनन्त शक्ति, निशा अनन्त, अद्वैत अनन्त का अप्रतिम योगदान रहा।

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