बाबा हरिहरनाथ समेत विभिन्न शिवालयों में भक्तों ने किया जलाभिषेक
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में सोनपुर स्थित हरिहरक्षेत्र में श्रावण माह की दूसरी सोमवारी और सोमवती अमावस्या के दिन 17 जुलाई को गंगा एवं गंडक नदियों में लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र डुबकी लगायी और बाबा हरिहरनाथ सहित विभिन्न शिवालयों में जलाभिषेक किया।
जानकारी के अनुसार गंगा-गंडक संगम की भूमि सबलपुर के विभिन्न घाटों, सोनपुर स्थित काली घाट एवं पहलेजाधाम घाट पर स्नानार्थियों की भीड़ अहले सुबह से ही डुबकी लगाती दिखी। सांध्यकालीन बेला में सोनपुर के नमामि गंगे घाट पर नारायणी महा आरती में हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ महा आरती देखने के लिए उमड़ पड़ी। बाबा हरिहरनाथ की सांध्यकालीन आरती में भी भक्तों की बड़ी भीड़ थी।
महिला स्नानार्थियों के लिए बेहतर व्यवस्था
ज्ञात हो कि सोमवती अमावश्य को सोनपुर के काली घाट से लेकर गोकरण दास घाट मही नदी के मुहाने तक स्नानार्थियों की भीड़ ऐसी थी कि मत पूछिए। चप्पे-चप्पे पर महिला पुलिस तैनात थीं। सीसीटीवी कैमरे की नजर में थे सभी भक्तगण। महिला भक्तों को कपड़ा बदलने के लिए घाटों पर कई जगह दीवारें बनी हुई हैं, जिनकी ओट में कपड़ा बदलने की महिलाओं ने खुद व्यवस्था कर रखी थीं।
श्रद्धालु पहचान वाले पंडे-पुजारियों के पास भी सामान रखकर स्नान कर रहे थे। बहुत सारे भक्त काली घाट पर स्नान के बाद ऊपर गढ़ पर देवी दक्षिणेश्वरी काली मंदिर में स्थित महाकालेश्वर शिव लिंग पर भी जलाभिषेक करते दिखे। निकट ही गौरी शंकर मंदिर में भी जलाभिषेक एवं पूजा-अर्चना करने वालों की भीड़ लगी थी।
बाबा हरिहरनाथ पर जलाभिषेक मुख्य उद्देश्य
काली मंदिर-हरिहरनाथ पथ में स्नानार्थियों के आवागमन एवं बाबा हरिहरनाथ पर जलाभिषेक के लिए उमड़ी भीड़ के कारण सड़क पर तिल भर भी जगह नहीं बची थी। इस मार्ग से आम रहिवासियों को वैशाली जिला मुख्यालय हाजीपुर आना-जाना महंगा साबित हो रहा था।
काली घाट से हरिहरनाथ तक जलाभिषेक करने के लिए उतारु भक्तों के हाथों में स्थित मिट्टी के पात्रों में गंगा एवं नारायणी के संगम का पवित्र जल सुशोभित हो रहा था।यहां भक्तों के चेहरे कम दिख रहा था पर उनका दोनों हाथ ऊपर उठाकर जल पात्र को सुरक्षित बाबा हरिहरनाथ तक ले जाने का संकल्प जरूर दिख रहा था।
स्त्री और पुरुषों के लिए बने अलग-अलग घेरे
इस अवसर पर जलाभिषेक करने के लिए मंदिर तक स्त्री और पुरुष के लिए मंदिर में आने-जाने के लिए अलग-अलग घेरे की व्यवस्था की गई थी, जिससे कहीं भी कोई पुरुष महिला भक्तों के घेरे में घुस नहीं सकता। इसी तरह पश्चिम तरफ भी जलाभिषेक कर बाहर निकलने के लिए ठीक उसी प्रकार से सुरक्षित घेराबंदी की गई थी।
सबसे बड़ी बात यह कि मंदिर के अंदर जाकर शिव लिंग पर जलाभिषेक के स्थान पर अलग-अलग अर्घा स्थापित कर उसके माध्यम से जलाभिषेक किया जा रहा था। पुरुष और महिला दोनों के लिए अलग-अलग व्यवस्था किए जाने से महिलाओं को सुखद अनुभूति हुई।
सोमवती अमावस्या होने के कारण बाबा हरिहरनाथ मंदिर में स्थित नवग्रह मंदिर में भी भक्तों द्वारा पूजा-अर्चना जारी रहा। मान्यता है कि श्रावण माह, उसमें सोमवारी और अगर भाग्य से सोमवती अमावस्या है तो उस दिन नवग्रह का दर्शन-पूजन करने वाले भक्तों पर समस्त ग्रहों सहित शनि व सूर्य देव की कृपा बरसती है।
पहलेजा धाम-गरीबनाथ कांवर यात्रा है यहां का प्रसिद्ध
हरिहरक्षेत्र सोनपुर के पहलेजाघाट धाम और मुजफ्फरपुर के गरीबनाथ के बीच कांवर यात्रा पूरे देश में विख्यात है। बिहार से झारखंड अलग होने के बाद भक्तों ने पहलेजा-गरीबनाथ कांवर यात्रा को प्रमुखता दी। यह कांवर यात्रा तीन जिलों सारण, वैशाली एवं मुजफ्फरपुर से जुड़ी है, जिसमें सबसे लंबा कांवर पथ वैशाली जिले में है। वैशाली जिला प्रशासन ने भी सोनपुर की तरह कांवरिया मार्ग पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है। जगह-जगह मजिस्ट्रेट और पुलिस बल की तैनाती की गई है।
पहलेजा धाम में गंगा स्नान का विशेष महत्व है, क्योंकि यहां देव नदी गंगा दक्षिणायनी हैं। पहलेजा धाम में भक्तों के लिए प्रशासन ही नहीं, बल्कि स्थानीय भक्तों द्वारा भी पर्याप्त सहयोग किया जा रहा है।
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