फिरोज आलम/जोनामोड़ (बोकारो)। कोलकाता के रानी रश्मोनी रोड में सरना धर्म कोड जनसभा का आयोजन किया गया। आदिवासी सेंगेल अभियान द्वारा सभा की अध्यक्षता पूर्व सांसद एवं सेंगेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने किया। जनसभा में सरना धर्म गुरु बंधन तिग्गा मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के रूप में शिक्षाविद् डॉ करमा उरांव और विद्यासागर केरकेट्टा रांची से आकर शामिल हुए।
कोलकाता के सम्मेलन में जादवपुर विश्वविद्यालय के छात्र नेता एवं अध्यक्ष “जादवपुर विश्वविद्यालय संताली स्टूडेंट्स वेलफेयर एंड कल्चरल एसोसिएशन” विश्वनाथ हांसदा भी शामिल थे।
इस अवसर पर सरना धर्म कोड जनसभा में फैसला हुआ कि सालखन मुर्मू के नेतृत्व में आदिवासी सेंगेल अभियान और बंधन तिग्गा के नेतृत्व में राष्ट्रीय सरना धर्म रक्षा अभियान मिलकर सरना धर्म कोड की मान्यता आंदोलन को मंजिल तक पहुंचाने के लिए संयुक्त आंदोलन करेंगे।
समारोह में निम्न घोषित कार्यक्रमों को सफल बनाने का संकल्प लिया गया:- जिसमें आगामी 30 नवंबर को, यदि भारत सरकार 20 नवंबर तक सरना धर्म कोड को मान्यता नहीं प्रदान करता है, तो 5 प्रदेशों में रेल रोड चक्का जाम किया जाएगा।
आगामी 11 नवंबर को देश की राजधानी दिल्ली में पार्लिमेंट मार्च। आगामी 4 नवंबर को असम की राजधानी गुवाहाटी में धर्मकोड जनसभा। अगले वर्ष 26 फरवरी को झारखंड की राजधानी रांची मोराबादी मैदान में सरना धर्म जनसभा का आयोजन। पटना और रांची में संयुक्त कार्यक्रम की तिथि बाद में घोषित होगी।
कोलकाता जनसभा को उपरोक्त नेताओं के अलावा सुमित्रा मुर्मू, सोहन हेंब्रोम, देवनारायण मुर्मू, नरेंद्र हेंब्रोम, लक्ष्मी नारायण किसकु, वैद्यनाथ हांसदा, तिलका मुर्मू आदि ने संबोधित किया। जनसभा की शुरुआत और समापन एकता प्रार्थना से किया गया। जिसमें 5 प्रदेशों से आये नेता और प्रतिनिधि बड़ी संख्या में जनसभा में शामिल हुए। जनसभा स्थल पूरी तरह भर चुका था।
जानकारी के अनुसार जनसभा में दो मजबूत संगठनों और संताल आदिवासी और उरांव आदिवासियों के बीच के गठबंधन से जन आंदोलन को ऊंची उड़ान भरने का एक माहौल बन गया है।
इस अवसर पर सालखन मुर्मू ने कुर्मी महतो को आदिवासी बनाने के सवाल पर बंगाल, झारखंड और उड़ीसा सरकार को घेरा। उन्हें आदिवासी विरोधी बताया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपना भरोसा जताया।
मगर सरना धर्म कोड की मान्यता आसाम, अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी बनाने, संताली को झारखंड की प्रथम राजभाषा बनाने, झारखंड प्रदेश का पुनर्निर्माण करने तथा आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में सुधार करने का शर्त रखा।
यहां मुख्य अतिथि बंधन तिग्गा, करमा उरांव, विद्यासागर केरकेट्टा ने सरना के लिए बने इस नवगठित गठबंधन को ऐतिहासिक बताया और सफलता की गारंटी कहा। पांच प्रदेशों के नेताओं ने अपना परिचय, राज्यवार रिपोर्ट और अपना वक्तव्य रखा। सरना धर्म कोड कोलकाता जनसभा ऐतिहासिक रूप से सफल रहा।
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