एस.पी.सक्सेना/बोकारो। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (अखिल भारतीय किसान सभा) की ओर से 5 जून को झारखंड (Jharkhand) के विभिन्न जिलों, प्रखंडो, चौक चौराहो एवं प्रमुख स्थलो में सम्पुर्ण क्रांति दिवस के रुप मे मोदी सरकार के काले कानूनों की बरसी पर कृषि कानूनों की प्रतियाँ जलाकर विरोध जताया गया। इस अवसर पर कई जगहों पर सभा का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर सभा में उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि कोरोना संकट काल( kovid-19) में भी केन्द्र सरकार ने तीन ऐसे एक्ट आज के ही दिन यानि 05 जून 2020 को लाये जो किसान विरोधी ही नही बल्कि जन विरोधी भी है। इसी एक्ट को 14 सितम्बर 2020 से होनेवाला मानसून सत्र मे रखा गया और 19 सितम्बर 2020 लोक सभा और 20 सितम्बर को राज्य सभा से कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर विस्तार विधेयक 2020 पारित किया। दिनांक 21 सितम्बर 2020 को आवश्यक वस्तु अधिनियम संशोधन विधेयक 2020 को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। इन कानुनों के विरोध मे पूरे देश मे जबर दस्त प्रदर्शन, धरना, हड़ताल,किया जा रहा है। लेकिन सरकार किसानों की आवाज सुनने के लिये तैयार नहीं है। वक्ताओं ने कहा कि ये सभी कानून कार्पोरेट व बिचौलियों का कानून है, जिसे प्रधान मंत्री लाये है। ये कानून फसल के दाम को ऑनलाइन दाम से बांधते है। एमएसपी देने से इंकार करता है। इसमें सरकारी खरीद का कोई प्रावधान नहीं है, जिसके कारण सरकारी भंडारण समाप्त कर दिया जायेगा। एफसीआई गोदाम नीलाम कर दिये जायेगे। यह बातें कानून की प्रतियां जलाने के क्रम में अपने संबोधन में भाकपा नेता कामरेड आफताब आलम खाँ, राष्ट्रीय अध्यक्ष कॉ गणेश प्रसाद महतो, सचिव मंडल सदस्य झारखंड राज्य किसान सभा कॉ सुजीत कुमार घोष, राज्य अनुशासन विभाग कॉ चंद्र शेखर झा, वरीय नेता बेरमो(बोकारो), गिरिडीह एवं बोकारो जिले के बॉर्डर सियारी मोड मे कही। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दोनो जगहों पर स्थानीय रहिवासी किसान उपस्थित थे।
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