एस. पी. सक्सेना/मुजफ्फरपुर (बिहार)। मां के प्यार सा संबल नहीं जहां में। यह कथन मातृ दिवस पर सटीक बैठता है। इस प्रकार का भाव यदि किसी कवि के उन्मुक्त कंठ से निकलता है तो इसके महत्ता बढ़ जाता है। ऐसा ही कवि सम्मेलन में देखने को मिला।
जानकारी के अनुसार मातृ दिवस के अवसर पर 14 मई को लालगंज के पूर्व विधायक केदार नाथ प्रसाद की संस्था रामभजन आश्रम सभागार में कौमुदी काव्य कला केंद्र के तत्वावधान में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
संस्थापक केदार नाथ प्रसाद ने आगत साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कहा कि मां के चरणों में ही स्वर्ग है।मां है तो दुनिया है, मां ही रचयिता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता वीणा देवी ने की। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ प्रो. पुष्पा गुप्ता रही। मुख्य अतिथि पुष्पा प्रसाद थी। कार्यक्रम का संयोजक प्रमोद नारायण मिश्रा जी रहे।
कवि सम्मेलन में प्रमोद नारायण मिश्रा ने महिला साहित्यकारों का स्वागत करते हुए कहा कि साहित्य के क्षेत्र में महिलाओं का बढ़ता प्रभाव सराहनीय है।
दीप प्रज्वलित कर इस सम्मेलन का शुभारंभ किया गया। जिसमें वीणा देवी, प्रो. डॉ पुष्पा गुप्ता, पुष्पा प्रसाद, कवियित्री सविता राज, रेखा शर्मा स्नेहा, हेमा सिंह, सती नायक आदि शामिल हुई। सरस्वती वंदना हेमा सिंह ने किया।
मातृ दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम का संचालन सविता राज ने किया। जबकि डॉ प्रो.पुष्पा गुप्ता, रेखा शर्मा स्नेहा, सविता राज, हेमा सिंह, पुष्पा प्रसाद, सती नायक, उदय नारायण सिंह, डॉ वीरेंद्र कुमार मल्लिक, डॉ शिवतुल्ला हामिदी, विष्णुकांत झा, श्रवण कुमार, सुरेश कुमार चौधरी, लाल नारायण सिंह ने मां से सबंधित रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। रेखा शर्मा स्नेहा के आभार ज्ञापन के पश्चात कार्यक्रम को विराम दिया गया।
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