जेएसडब्ल्यू व् जेएसपीएल ने सरकार के राजस्व को चुना लगाया-लोक लेखा समिति

पीयूष पाण्डेय/बड़बिल (ओड़िशा)। ओड़िशा प्रांत का क्योंझर जिला एक खनिज समृद्ध जिला है। इस जिले में कई बड़ी खनन कंपनियां कार्यरत हैं। जेएसडब्ल्यू और जेएसपीएल जैसी कुछ बड़ी नामी कंपनियों पर सरकार का राजस्व हड़पने का आरोप है।

लोक लेखा समिति के अनुसार राज्य का राजस्व पंद्रह हजार करोड़ घट गया हैं। इसके पीछे भी यही खनन कम्पनियां है। हालाँकि, जेएसडब्ल्यू और जेएसपीएल कंपनियाँ अन्य जिलों के साथ-साथ क्योंझर जिले के जोड़ा खनन क्षेत्र में भी खनन कर रही हैं। लोक लेखा समिति ने राज्य सरकार पर खनिजों की गुणवत्ता और वजन में हेरफेर कर करोड़ों रुपये का चूना लगाने का आरोप लगाया है। जिसके लिए पिछले दिनों सरकार की ओर से उन पर जुर्माना लगाया गया था।

राज्य सरकार की लोक लेखा समिति यानी पीएसी कमेटी ने इस जेएसडब्ल्यू और जेएसपीएल के खिलाफ शिकायत की है। जबकि पीएसी समिति ने तीन दिनों के लिए क्योंझर जिले का दौरा किया।

उन्होंने विभिन्न खनन कंपनियों का दौरा किया और आरोप लगाया कि इन खनन कंपनियों द्वारा राज्य सरकार को विभिन्न तरीकों से राजस्व का चूना लगाया जा रहा है। समिति के अनुसार जेएसडब्ल्यू और जेएसपीएल माइनिंग कंपनी के नाम पर शिकायत दर्ज की गई है।

जेएसडब्ल्यू और जेएसपीएल कम्पनियों के उपर पीएसी कमेटी की शिकायत

ओड़िशा लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष मोहन चरण माझी के नेतृत्व में एक टीम ने तीन दिनों के लिए क्योंझर जिले का दौरा किया और तीसरे दिन बीते 19 अक्टूबर को जोड़ा खनन क्षेत्र के विभिन्न स्थानों का दौरा किया। बीते 18 अक्टूबर को जोड़ा में रात बिताने के बाद समिति ने दूसरे दिन सुबह जेएसडब्ल्यू के जजांग लौह अयस्क खदान का दौरा किया।

इस समय, समिति ने जजांग खदानों में लौह अयस्क मानकों के निर्धारण में हेरफेर किया गया पाया। वजन करने के बाद पता चला कि लौह-अयस्क को बिना किसी रोक-टोक के परिवहन किया गया था तथा खनन अनुभाग में जोड़ दिया गया था।

राज्य के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के बयान के मुताबिक, राज्य के 15 विधायकों ने मुख्य प्रशासनिक सचिव से जेएसडीबी खनन में अनियमितता की शिकायत की थी। इस शिकायत के आधार पर राज्य प्रवर्तन निदेशालय ने 2020-2021 और 2022 में दो चरणों में खदान पर छापेमारी की थी। इस मामले में, खनन कंपनी का लौह अयस्क निम्न गुणवत्ता वाला माना जाता है।

इसकी कीमत 2,000 रुपये से 3,000 रुपये प्रति टन आया। इसी तरह लौह अयस्क परिवहन के मामले में भी कम वजन वाले वाहनों के परिवहन के दौरान कम वजन पकड़े गये। छापेमारी के दौरान पाया गया कि खदान में कोई लौह अयस्क स्टैग (चाटा) नहीं था, जबकि खदान से लौह अयस्क का परिवहन किया जा रहा था।

परिणामस्वरूप, राज्य प्रवर्तन निदेशालय ने खनन कंपनी पर 2 चरणों में 16 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया और 3 नवंबर 2020 की बड़ी राशि के बाद, 2. नवंबर 2021 के टीज़र में भी इसी तरह की अनियमितताएँ देखी गईं। पीएसी कमेटी के दौरे ने एक बार फिर जेएएसडब्ल्यू माइनिंग कंपनी की कलई खोल दी है।

समिति ने मीडिया को बताया कि खनन कंपनी का जोड़ा खनन विभाग के साथ अनैतिक संबंध है। समिति के अध्यक्ष की जानकारी के अनुसार 2 वर्ष के दौरान इस खनन कंपनी ने राज्य सरकार को 250 करोड़ रुपये का चूना लगाया है और खनन विभाग से सवाल किया था कि क्या खनन विभाग के अधिकारियों ने संबंधित खनन कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी।

दूसरी ओर, कंपनी द्वारा खदान के चारों ओर ग्रीन बेल्ट नहीं बनाने के कारण जमीन खाली हो गयी थी। जिसके बारे में कोई भी उपस्थित अधिकारी किसी प्रकार का संतोषजनक जवाब नहीं दे सका।

लोक लेखा समिति के अध्यक्ष मोहन चरण माझी ने उपरोक्त तरह की हेराफेरी जेएसपीएल खनन कम्पनी के काशिया खनन पट्टा पर भी लगाया है। उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से जो भी दस्तावेज दिया गया है, उसका मिलान कम्पनी के दस्तावेज से किया गया।

लेकिन दस्तावेज में भिन्नता पाइ गयी। उन्होंने खनन विभाग और जेएसपीएल कम्पनी की मिलीभगत का आरोप लगया और कहा कि यदि यह आरोप सही निकलता है तो दोनों कंपनी पर कानूनी कार्रवाई होगी।

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