नंद कुमार सिंह/फुसरो (बोकारो)। बोकारो जिला के हद में फुसरो निवासी उपेंद्र कुमार खेमका को उत्तर प्रदेश में देवीपाटन रेंज के पुलिश उप महानिरीक्षक (डीआईजी) से पुलिस महानिरीक्षक (आईजीं) के पद पर पदोन्नति मिली है। खेमका के आईजी बनने पर बेरमो कोयलांचल मे हर्ष की लहर दौड़ पड़ी।
उक्त जानकारी आईजी खेमका के छोटे भाई सुरेंद्र खेमका उर्फ़ चिंटू खेमका ने दी। इस अवसर पर बधाई देने वालो में पूर्व सांसद रविंद्र कुमार पांडेय, बेरमो विधायक कुमार जय मंगल सिंह, ढोरी जीएम मनोज कुमार अग्रवाल, बेरमो प्रखंड प्रमुख गिरजा देवी, भाजपा नेता राजेश सिंह, विश्व प्रसिद्ध सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक सह बेरमो निवासी प्रकाश कुमार सिंह, श्रमिक नेता महेंद्र कुमार विश्वकर्मा आदि मुख्य रूप से शामिल है।
ज्ञात हो कि फुसरो नगर परिषद के करगली बाजार निवासी संतोष देवी खेमका ने अनगिनत कष्ट सह कर अपने बेटे काे आईपीएस अफसर बनाया। अभी उनका बेटा उपेंद्र खेमका उत्तर प्रदेश में आईजी है। संताेष देवी ने अपने बेटे की परिवरिश में मां और पिता दाेनाें की भूमिका निभाई। क्याेंकि, उनके पति 1993 में जाे लापता हुए, वे आज तक लौटकर घर नहीं आए।
उनके पति काे मानसिक बीमारी थी। वे अपने बच्चाें के लिए संघर्ष करती रहीं। अपने बेटे की तस्वीर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री याेगी आदित्यानाथ के साथ देखकर आज गर्व महसूस करती हैं। लेकिन, दु:ख का पहाड़ फिर टूटा। पिछले वर्ष कोरोना काल में उनका दूसरा जवान बेटा महेंद्र खेमका का निधन हाे गया।
वर्ष 1993 में पति रांची से लापता हो गए। एक बेटे की दुर्घटना में दूसरे की कोरोना से मौत हो गई। संताेष देवी कहती हैं कि कुदरत ने उनके साथ बहुत नाइंसाफी की। 31 दिसंबर 1995 को उनके बड़े पुत्र गोपाल की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। दूसरे बेटे का निधन पिछले साल काेराेना से हाे गया। पति कैलाश चंद्र खेमका 1993 में रांची अस्पताल से ही लापता हाे गए।
इससे पहले 1967 में वह पति के साथ करगली बाजार स्थित घर में आ गई। शादी के बाद चार बेटे व एक बेटी हुई। पुत्री बड़ी हुई, तो उसे हार्ट की बीमारी हो गई। जब पति लापता हुए तो बच्चों की उम्र 13 से 18 वर्ष के बीच थी। समाज व रिश्तेदारों से कर्ज लेकर दुकान खोली।
पति के लापता होने के कारण उनके बैंक खाते से पैसे की निकासी बंद हो गई। समाज के लोगों तथा रिश्तेदारों से कर्ज लेकर ऑटाे पार्ट्स की दुकान खाेली। धीरे-धीरे परिवार की स्थिति कुछ सुधरी।
उपेंद्र खेमका पढ़ने लिखने में अच्छा था, इसलिए उसे हर हाल में पढ़ाने का मन बनाया। बेटे ने अफसर बनकर मां का सपना पूरा कर दिया। बताया जाता है कि उपेंद्र की आरंभिक शिक्षा करगली बाजार और फुसरो में हुई। इंटर संत जेवियर रांची से किया।
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