जनपक्ष का आग्रही पत्रकार सुरेन्द्र मानपुरी के पुस्तक का लोकार्पण
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के निकटवर्ती वैशाली जिला के हद में लालगंज प्रखंड के ऐतिहासिक शारदा सदन पुस्तकालय में बीते 15 दिसंबर को वरिष्ठ पत्रकार और लेखक सुरेन्द्र मानपुरी के जीवन वृत पर आधारित पुस्तक जनपक्ष का आग्रही पत्रकार सुरेन्द्र मानपुरी का लोकार्पण किया गया। पुस्तक के लेखक साहित्यकार एवं प्रगतिशील किसान नामी डीह रहिवासी जितेन्द्र कुमार सिंह ने संचालन किया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि बिहार के वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार और भाषाविद रवींद्र कुमार ने दीप प्रज्वलित कर लोकार्पण समारोह का उद्घाटन किया। समारोह की अध्यक्षता शिक्षाविद् कपिलदेव सिंह ने की।
उक्त पुस्तक का लोकार्पण भाषाविद रविन्द्र कुमार सिंह, हरिहरक्षेत्र जन जागरण मंच के संस्थापक अनिल कुमार सिंह, बिहार उच्च न्यायालय पटना के वरिष्ठ अधिवक्ता महेन्द्र प्रताप सिंह, रामसुंदर दास महिला महाविद्यालय के सचिव एवं मानस मर्मज्ञ तृप्तिनाथ सिंह, एबीएस कॉलेज के प्राचार्य विनय कुमार सिंह, लालगंज प्रखंड प्रमुख सुधा देवी, समाजसेविका मंजू देवी एवं पुस्तक के लेखक जितेन्द्र कुमार सिंह आदि ने सम्मिलित रुप से किया।
पत्रकारिता को लोकतंत्र का एक मात्र स्तंभ बताते हुए भाषाविद एवं वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कुमार ने कहा कि लोकतंत्र का एक मात्र स्तंभ पत्रकारिता है। शेष तीन स्तंभ कार्यपालिका, व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका लोक तंत्र के नहीं बल्कि शासन तंत्र के अंग हैं, जो शासन से संचालित होते है। उन्होंने पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताने की परम्परा का जिक्र करते हुए कहा कि आज से 198 वर्ष पूर्व सन् 1826 में ब्रिटिश भारत में पत्रकारिता को चौथे स्तंभ के रुप में मान्यता मिली थी।
तब पत्रकारों ने पार्लियामेंट का समाचार कवरेज करने के लिए लगातार आवाज़ बुलंद की थी, जिसे 1826 में कुछ शर्त के साथ कवरेज करने की इजाजत दी गई थी। वह परंपरा आज भी जारी है। राजतंत्र और कम्युनिस्ट शासन में भी न्याय पालिका, कार्यपालिका और व्यवस्थापिका थी, पर जनतंत्र नहीं था, क्योंकि तब वहीं खबर प्रकाशित होती थी जो सरकार चाहती थी। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत इंदिरा गांधी ने भी इमरजेंसी में जनतंत्र पर ताला लगा दिया था।
पत्रकारिता पर अंकुश लगाने से लोकतंत्र समाप्त हो जाता है। कहा कि वर्तमान दौर में अखबारों पर दबाव के बावजूद पत्रकारिता के क्षेत्र में क्रांति आई है। अखबारों को आज विज्ञापन का दबाव झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक पत्रकार होने के नाते मुझे लिखना और समाचार का संपादन करना भर आता है। बोलने की कला नहीं मालूम, परन्तु पत्रकार सुरेन्द्र मानपुरी में लिखना, संपादन करना और बोलने की कला भी है। उन्होंने कहा कि है तो यह परस्पर विरोधी बातें पर सुरेन्द्र मानपुरी बोलने और लिखने में सिद्धहस्त हैं।
इसे मणिकांचन संयोग ही कह सकते हैं। यह किसी किसी बिड़ले में ही देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि नाम सुरेन्द्र है यानी इंद्र जो सुरों के देवता हैं। गीत संगीत में उनकी रुचि जग जाहिर है। इंद्र देव लोक के सुर सम्राट तो सुरेन्द्र भी सुर सम्राट हैं।
लोकार्पण समारोह के अवसर पर उपस्थित पत्रकारों एवं बुद्धिजीवियों को भी अंग-वस्त्र से सम्मानित किया गया। यह आयोजन जितेन्द्र कुमार सिंह द्वारा किया गया था, जिसमें वैशाली जिले के विभिन्न प्रखंडों के बुद्धिजीवी एवं प्रगतिशील किसान शामिल हुए। इस अविस्मरणीय अवसर पर समारोह के मुख्य अतिथि भाषाविद रवींद्र कुमार, अध्यक्ष कपिलदेव सिंह, साहित्यकार एवं पत्रकार सुरेन्द्र मानपुरी, हरिहरक्षेत्र जनजागरण मंच के संस्थापक सोनपुर रहिवासी चर्चित समाजसेवी अनिल कुमार सिंह, आदि।
पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता व् राजनीतिज्ञ महेन्द्र प्रताप सिंह, रामसुंदर दास महिला महाविद्यालय, सोनपुर के सचिव एवं मानस मर्मज्ञ तृप्तीनाथ सिंह, एबीएस कॉलेज लालगंज के प्राचार्य विनय कुमार सिंह, लालगंज प्रखंड प्रमुख सुधा देवी, समाज सेविका मंजू देवी, जितेन्द्र कुमार सिंह, रेपुरा स्थित नानक शाही गुरुद्वारा के सचिव प्रदीप कुमार, पत्रकार शंकर सिंह, ए. के. शर्मा सहित दर्जनों पत्रकारों को सम्मानित किया गया।
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