भगवान श्रीकृष्ण ने सूरदास को प्रदान की थी दिव्य दृष्टि-लक्षमणाचार्य
अवध किशोर शर्मा/सारण (बिहार)। सारण जिला के हद में हरिहरक्षेत्र सोनपुर की पावन धरती श्रीगजेन्द्र मोक्ष देवस्थानम दिव्य देश (नौलखा मंदिर) में श्रावण माह के अंतिम दिन 31 अगस्त की रात्रि भगवान की कुंभ आरती कर जय गोविंदा के जयघोष के साथ झूला महोत्सव संपन्न हो गया।
इस अवसर पर यहां पीठाधीश्वर जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने परम भक्त सूरदास को दर्शन देने के लिए दिव्य दृष्टि प्रदान की थी। उन्होंने तब भगवान श्रीकृष्ण के रुप माधुर्य का छक कर पान किया।
उन्होंने कहा कि वैसे तो सावन माह की प्रधानता भगवान शिव के पूजन-अर्चन के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसी माह भगवान श्रीहरि विष्णु का अवतार भगवान श्रीकृष्ण की भी अनोखे अंदाज में पूजा अर्चना का विधान है।
स्वामी लक्ष्मणाचार्य ने कहा कि सावन शुक्ल पक्ष एकादशी से सावन पूर्णिमा के दिन तक भगवान श्रीकृष्ण को झूले पर झुलाया जाता है। इसी सन्दर्भ में नौलखा मंदिर में वर्षों से झूलन उत्सव मनाया जा रहा है। लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने कहा कि इस समय भगवान का प्रतिदिन अलग-अलग वस्त्र एवं आभूषणों से श्रृंगार किया जाता है।
इस अवसर पर उन्होंने एक रोचक प्रसंग में कवि सूरदास के श्रीराधा कृष्ण में भक्ति की कथा भक्तजनों को सुनायी। उन्होंने कहा कि श्रीकृष्ण के अनन्य अनुरागी सूरदास बड़े ही प्रेमी और त्यागी भक्त थे। इनकी मानस पूजा सिद्ध थी। श्रीकृष्ण लीलाओं का सुंदर और सरस वर्णन करने में ये अद्वितीय थे। गुरु की आज्ञा से इन्होंने श्रीमद्भागवत कथा की पद्य में रचना की।
कहा कि एक बार भक्त सूरदास एक कुएं में गिर गए तब भगवान श्रीकृष्ण ने प्रकट होकर इन्हें बांह पकड़ बाहर निकाल लिया, जबकि सूरदास जी अन्तर्मन से पहचान लेते हैं। भगवान श्रीकृष्ण जाने लगे तो सूरदास बोले बांह छुड़ाके जात हो, निर्बल जान के मोय। हृदय से जाके देख लो, मर्द जानूं तोय”।। भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें दृष्टि प्रदान की। इन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के रूप-माधुर्य का छक कर पान किया।
इन्होंने भगवान श्रीकृष्ण से यह वर मांगा कि मैंने जिन नेत्रों से आपका दर्शन किया, उनसे संसार के किसी अन्य व्यक्ति या वस्तु का दर्शन न करूं। सूरदासजी का पद्य है, जिसका अभिप्राय है हे मन! तुम मानव से प्रीति करो। संसार की नश्वरता में क्या रखा है।
इस प्रकार रात्रि दस बजे तक संगीतमय झांकी दृश्यों के साथ भगवान श्रीबालाजी वेङ्कटेश, श्रीदेवी, भू-देवी को श्रद्धालुओं के द्वारा झूला में झूलाया गया। अन्त में स्वामी लक्ष्मणाचार्य जी महाराज ने भगवान की कुंभ आरती कर गोविन्दा गोविन्दा के जयघोष से झूला महोत्सव का सफल समापन कराया।
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