बिहार से उपेक्षित पठारी भाग के विकास के लिए झारखंड की स्थापना की गई-लक्ष्मी सुरेन

सिद्धार्थ पांडेय/जमशेदपुर (झारखंड)। पश्चिमी सिंहभूम जिला परिषद अध्यक्ष चाईबासा लक्ष्मी सुरेन ने धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा जयंती सह झारखंड राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर सिंहभूम जिला वासियों के साथ-साथ झारखंड के समस्त नागरिकों को साधुवाद दी है।

जिप अध्यक्ष सुरेन ने एक भेंट मे बताया कि बिहार से उपेक्षित दक्षिणी पठारी भाग का सर्वांगीण विकास के लिए झारखंड राज्य की स्थापना की गई है। उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के आदिवासियों एवं मूलवासियों की कला एवं सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए राज्य की स्थापना की गई। जिसके अंतर्गत यहां के उपेक्षित नागरिकों के विकास में समान अवसर मिले।

उन्होंने कहा कि जल, जंगल, जमीन की रक्षा के साथ आदिवासी, मूलवासियों को खनिज संपदा में समान भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु राज्य का निमार्ण किया गया। राज्य को मजबूती और एकजुटता प्रदान करने के लिए सभी झारखंडवासी को प्रतिबद्ध होकर एकजुट रहना चाहिए।

जिला परिषद अध्यक्ष सुरेन ने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के ऐसे नायक रहे, जिनको जनजातीय लोग आज भी गर्व से याद करते हैं। आदिवासियों के हितों के लिए संघर्ष करने वाले बिरसा मुंडा ने ब्रिटिश शासन से लोहा लिया था।उनके योगदान के चलते ही उनकी तस्वीर भारतीय संसद के संग्रहालय में लगी हुई है।

धरती आबा भगवान बिरसा मुण्डा का जन्म 15 नवम्बर 1875 में छोटा किसान गरीब परिवार में हुआ था। तब मुण्डा एक जनजातीय समूह था जो छोटा नागपुर पठार निवासी था। बिरसा मुंडा को वर्ष 1900 में आदिवासी लोंगो को संगठित करते देखकर ब्रिटिश सरकार ने आरोप लगाकर उन्हे गिरफ्तार कर लिया था तथा उन्हें 2 साल का दण्ड दिया गया।

सुरेन ने कहा कि बिरसा मुंडा एक आदिवासी सुधारक, धार्मिक नेता और मुंडा जनजाति से संबंधित स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्होंने 19वीं शताब्दी में तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी में ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ा धार्मिक और सूचनात्मक आंदोलन किया था।

बिरसा मुंडा के बताए मार्ग पर चलकर राज्य का सच्चा प्रहरी बने।आज के वर्तमान परिवेश में सबको चाहिए कि एकजुट हो झारखंड राज्य को समृद्ध बनाएं। विभिन्न प्रकार के खनिज व प्राकृतिक संपदा से समृद्ध झारखंड राज्य मूलत: यहां रहने वाले हर निवासियों का है।

आदिवासियों का उत्थान झारखंड राज्य में बिरसा मुंडा के पद चिन्हों पर चल किया जा सकता है। जिप सदस्या के अनुसार मानवीय एकता एवं आपसी प्रेम झारखंड की धरोहर है।

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