प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को सुलझाना नहीं चाहती झारखंड सरकार, जारी है आश्वासनों का दौर!

जेइएस ने निभाया राजधर्म, लोगों को संघ से जोड़ने ने अंसारी की भूमिका अहम

मुश्ताक खान/मुंबई। करीब दो दशक से प्रवासी मजदूरों के हितों में काम करने वाली झारखंडी एकता संघ (जे इ एस) के राष्ट्रिय अध्यक्ष असलम अंसारी ने झारखंड सरकार की नीतियों पर चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि खनिज संपदाओं से परिपूर्ण होने के बावजूद झारखंड प्रदेश से प्रवासी मजदूरों को मजबूरन रोजगार के लिए पलायन करना अपने आप में आपदा के सामान है। प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर मुंबई से जेइएस की टीम दर्जनों बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित उनकी मंत्रिमंडल में शामिल विधायक और मंत्रियों से मुलाकात कर प्रदेश के प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर चर्चाएं की गई और साथ में ज्ञापन भी सौंपा गया, लेकिन नतीजा अब भी शून्य ही है। ताजा मामला झारखंड, बोकारो जिला के मडमो खेतको के शमशेर अंसारी का है, अंसारी ,मुंबई से सटे पनवेल के एक इमारत में काम करते थे। लेकिन ड्यूटी के दौरान चार मंजिले इमारत से गिरने से उनकी मौत हो गई। उनके शव को भी जेईएस के सहयोग से उनके गांव तक भेजा गया।

20 वर्षों से जुड़े हैं देश के ब्यूरोक्रेटस, नेता और अभिनेता

खबर के मुताबिक वर्ष 2005 में झारखंडी एकता संघ (जे इ एस) की स्थापना हुई थी। हालांकि उससे पहले राज्य के बंटवारे के बाद, यानि वर्ष 2001 से ही यह संस्था अस्थाई रूप से प्रवासी मजदूरों के लिए काम कर रही थी। लेकिन इस संस्था के आधिकारिक तौर पर रिकॉर्ड पर पंजीकरण होने के बाद पहले मुंबई फिर महाराष्ट्र और अब पुरे देश में प्रवासी मजदूरों के लिए काम कर रही है।

इस संस्था के पंजीकृत होने के बाद झारखंड प्रदेश से मुंबई आने वाले राज्य सरकार के मंत्री और विधायकों की हर संभव सेवाएं जेइएस के पदाधिकारियों द्वारा किया जाता रहा है। बता दें कि जेइएस के साथ आम व खास प्रवासी मजदूरों के अलावा बड़ी संख्या में राज्य और देश के अलग -अलग राज्यों में कार्यरत ब्यूरोक्रेटस भी शामिल हैं। इनमें शासन और प्रशासन के शीर्ष पदों पर बैठे दफ्तरशा और शीर्ष नौकरशाहों की लंबी सूचि है। बावजूद इसके देश भर में फैले हजारों झारखंडी एकता संघ के पदाधिकारी अब भी अपनी मांगों को लेकर राजनैतिक भंवर में गोता लगा रहे हैं। चूंकि आश्वासन देने वाले झारखंड प्रदेश के राजनेता वादा तो करते हैं लेकन मुंबई छोड़ते ही भूल जाते हैं कैसे ?

छलके आंसू 300 प्रवासी मजदूरों का शव भेजा उनके गांव

बातचीत के दौरान झारखंडी एकता संघ के राष्ट्रिय अध्यक्ष असलम अंसारी ,खुद को रोक नहीं पाए और उनके आंसू छलक आये, उन्होंने कहा कि खनिज संपदाओं से मालामाल होने के बावजूद झारखंड के प्रवासी मजदूरों को मजबूरन रोजगार के लिए पलायन करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि 2005 में अस्तित्व में आई जेईएस द्वारा अब तक लगभग 300 प्रवासी मजदूरों का शव उनके गांव झारखंड भेजा जा चूका है।

उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर खुद मैं और जेईएस के पदाधिकारी झारखंड प्रवासी कल्याण आयोग का गठन करने को लेकर दर्जनों बार मुंबई से रांची जाकर सीएम सहित उनके मंत्रियों और विधायकों से चर्चा की और ज्ञापन भी सौंपा गया, लेकिन मामला ज्यों का त्यों अधर में लटका हुआ है। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष असलम अंसारी ने पुनः सरकार से झारखंड प्रवासी कल्याण आयोग का गठन करने की मांग की है। ताकि देश के विभिन्न राज्यों एवं विदेशों में रोजगार के लिए गए झारखंड प्रदेश के प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा एवं सहायता मुहैया कराया जा सके। इस मुद्दे पर झारखंड सरकार को गंभीरता पूर्वक सोचना और फैसला करना चाहिए।

Tegs: #Jharkhand-government-does-not-want-to-solve-the-problems-of-migrant-laborers

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