एन. के. सिंह/फुसरो (बोकारो)। झारखंड बंगाली एसोसिएशन ने 11 अगस्त को शहीद खुदीराम बोस की 115वीं पुण्यतिथि मनाया।
वीर अमर शहीद खुदीराम बोस की 115वीं पुण्यतिथि पर बंगाली समिति जवाहर नगर, सुभाषनगर शाखा की ओर से झारखंड बंगाली एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्यामल कुमार सरकार के जवाहर नगर स्थित आवासीय कार्यालय में श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान एसोसिएशन के सदस्यों ने खुदीराम बोस के तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया।
इस अवसर पर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष श्यामल कुमार सरकार ने कहा कि महज 18 साल की उम्र में फांसी के फंदे को चूमने वाले अमर शहीद खुदीराम बोस की आज 115वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 1908 में उन्हें फांसी की सजा हुई थी। अपनी शहादत के बाद खुदीराम इतने लोकप्रिय हुए कि बंगाल में उनके नाम की धोती बुनी जाने लगी। बंगाल के युवा उस धोती को पहना करते थे।
उन्होंने बताया कि फांसी से पहले खुदीराम बोस की एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें उनके पैरों में रस्सी तो थी लेकिन चेहरा आत्मविश्वास और देश के लिए शहीद होने के गर्व से भरा हुआ था। उस तस्वीर में करोड़ों भारतीयों के साथ-साथ उन अंग्रेज शासकों के लिए भी संदेश छिपा था कि हम भारतीय सजा-ए-मौत से घबराते नहीं हैं। हमें इससे डराने की रत्तीभर भी कोशिश मत करना।
उन्होंने बताया कि अमर शहीद खुदीराम बोस का जन्म बंगाल के मिदनापुर में हुआ था। वह तब 15 साल के थे, जब अनुशीलन समिति का हिस्सा बने थे। यह 20वीं सदी की संस्था थी जो बंगाल में क्रांतिकारी गतिविधियों का प्रचार-प्रसार का काम करती थी।
मौके पर शंकर चक्रवर्ती, चंदन चक्रवर्ती, विमल कुमार सिन्हा, अशोक सरकार, श्यामा दास गुप्ता, सौजल बनर्जी, गौतम सेन गुप्ता, भोला चक्रवर्ती, पोलोप दास गुप्ता, रमेश प्रसाद सहित दर्जनों गणमान्य मौजूद थे।
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